मुझे ये समझ में नही आ रहा की अब तक हमारे देश ने डिजिटल इंडिया के फायदों को क्यों नही समझा। अब जाकर हमे मालूम पड़ा है की भारत की सारी समस्याओं का समाधान तो डिजिटली हो सकता था तो फिर पिछली सरकारें दूसरी चीजों पर क्यों समय खराब करती रही। खैर देर आयद, दुरुस्त आयद। अब हम इस बात को समझ चुके हैं और जो नासमझ अब भी नही समझ पा रहे हैं उनको समझाने के लिए डिजिटल इंडिया के ये फायदे लिखने पड रहे हैं।
१. अब आपको जो समस्या हो उसका समाधान आप डिजिटल इंडिया से कर सकते हैं। आप को किसी विभाग से कोई शिकायत है तो आपको शिकायत करने के लिए विभाग के दफ्तर जाने की कोई जरूरत नही है। आप उस विभाग की वेब साईट पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपको तुरंत आपका शिकायत नंबर मिलेगा। आप दो चार दिन के बाद उस नंबर से आपकी शिकायत की स्थिति देख सकते हैं। वहां आपको लगभग 15 दिन तो अंडर प्रोसेस लिखा मिलेगा और आपकी उम्मीद जिन्दा रहेगी। उसके बाद आपको जवाब मिलेगा की आपकी शिकायत संबंधित अधिकारी को भेज दी गयी है। शिकायत को अधिकारी तक पहुंचाने का जो काम डाक विभाग तीन दिन में करता था वो डिजिटली 15 दिन में हो जायेगा। उसके बाद आप जब स्थिति चैक करेंगे तो उसमे " सॉल्व " लिखा आएगा। आप कुछ नही कर सकते। आप वेब साईट पर दिए गए फोन से इस बारे में जानकारी चाहेंगे तो जवाब आएगा की ये फोन नंबर उपलब्ध नही है। क्योंकि नई व्यवस्था में पुरानी परम्परा का पूरा ध्यान रखा गया है। वेब साईट बेसक इसी साल बनी है लेकिन उसमे टेलीफोन नंबर 10 साल पुराने दिए गए हैं। इस तरह आप डिजिटली अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं। जब साईट पर सॉल्व लिखा है तो आपको भी मान लेना चाहिए की समस्या सॉल्व हो चुकी है।
२. इसी डिजिटल इंडिया से देश के किसानो की समस्याओं का भी समाधान हो सकेगा। जिस किसान के यहां 20 मन आलू पैदा हुआ है वो गूगल पर सर्च कर सकता है की दुनिया के कौनसे देश में आलू की कीमत ज्यादा है। मान लो उसे पता चलता है की स्वीडन में आलू महंगा है तो वह अपने आलू को स्वीडन में बेच सकता है। गूगल द्वारा ही उसे एक्सपोर्ट लाइसेंस से लेकर बंदरगाह जैसी हर जानकारी मिल सकती है। जो किसान अब तक रो रहा था की आलू दो रूपये किलो भी नही बिक रहा है वो अब 200 रूपये किलो आलू बेच सकता है। इससे हमारे यहां किसान क्रान्ति हो जाएगी। अभी कुछ दिन पहले इसी तरह की कितनी क्रांतियाँ हमारे देश में हो चुकी हैं इसका जिक्र प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में किया ही था। इस तरह किसान पूरी दुनिया की मंडियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। उसने जो जनधन योजना में खाता खुलवा लिया था और उसमे भले ही एक रुपया ना डाला हो परन्तु वो नेट बैंकिंग से अपना बैलेंस चैक कर सकता है उसे इसके लिए पांच रूपये खर्च करके शहर जाने की जरूरत नही है वो गांव के साइबर कैफे में ये सेवा 20 रूपये घंटे के खर्चे पर प्राप्त कर सकता है। वरना वो ऑनलाइन सामान बेचने वाली साईट पर जाकर कम कीमत में कम्प्यूटर खरीद सकता है।
३. मजदूरों को भी इससे काफी लाभ होगा। जिस मजदूर के पास काम नही है वो गूगल पर सर्च कर सकता है की देश में कहाँ काम मिल सकता है। वो मनरेगा का भुगतान नही हुआ हो तो ऑनलाइन शिकायत कर सकता है लेकिन उसका तरीका वही होगा जो हमने ऊपर बताया है।
४. आपका बच्चा खो गया हो तो आप गूगल पर सर्च कर सकते हैं। किसी महिला के साथ बलात्कार हुआ हो और पुलिस कार्यवाही नही कर रही है तो वो बलात्कारी के साथ सेल्फ़ी लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर सकती है। आपके नल में पानी नही आ रहा है तो भी आप गूगल पर सर्च करके पता लगा सकते हैं की कहां तक पहुंचा। आपके यहां सुखा पड़ा है तो आप इंटरनेट पर पता लगा सकते हैं की आपके इलाके में कितने प्रतिशत बारिस कम हुई है। इसी तरह आपके बच्चे को स्कुल में एडमिशन नही मिल रहा है तो आप पता लगा सकते हैं की हमारे देश में स्कूलों और विद्यार्थिओं का अनुपात क्या है। इस तरह पुरे देश की समस्या हल हो सकती हैं। इंटरनेट पर हर चीज का इलाज मौजूद है।
५. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है की आपको भले ही ये लगता हो की आपकी जिंदगी मुस्किल हो गयी है और सरकार काम नही कर रही है परन्तु आप टीवी पर प्रायोजित भीड़ को प्रधानमंत्री के नारे लगाते देख सकते हैं। आपके मुहल्ले के लोग सरकार के बारे में क्या राय रखते हैं उसकी बजाए आप ये देख सकते हैं की जुकेरबर्ग सरकार के बारे में क्या कह रहे हैं। आपकी राय कोई अमरीकियों की राय से ज्यादा वजन तो नही रखती। प्रधानमंत्री अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में संसद की बजाय विदेश में जाकर लोगों से पूछ सकते हैं की ए मेरे देश के लोगो, बताओ, क्या मेरे ऊपर कोई आरोप है ? अगर किसी ने गलती से भी कह दिया की है, तो इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी का भुगतान रोक दिया जायेगा।
६. इस तकनीक का एक फायदा और है। प्रधानमंत्री डिजिटल तकनीक का उपयोग करके अंग्रेजी में फर्राटेदार भाषण पढ़ सकते हैं और किसी को मालूम भी नही पड़ेगा। आप खुश हो सकते हैं की प्रधानमंत्री कितनी अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। इससे आपके मन में और विदेशों में हमारे देश का रुतबा बढ़ता है। वैसे भी प्रधानमंत्री कह रहे हैं की पूरी दुनिया हमारा लोहा मान रही है इसलिए भले ही हमारा बनाया हुआ लोहा मार्किट में ना बिके हमे उसकी चिंता करने की जरूरत नही है।
बस अब हम केवल गूगल पर ये सर्च कर रहे हैं की क्या भारत में होने वाले इलेक्सन में अमेरिकी वोट डाल सकते हैं ? एक बार इसका जवाब हाँ में मिल जाये फिर लोग लोकतंत्र, समाजवाद , समानता, भाईचारा, नागरिक अधिकार जैसी चीजों को गूगल पर ढूंढते ही रहेंगे।
१. अब आपको जो समस्या हो उसका समाधान आप डिजिटल इंडिया से कर सकते हैं। आप को किसी विभाग से कोई शिकायत है तो आपको शिकायत करने के लिए विभाग के दफ्तर जाने की कोई जरूरत नही है। आप उस विभाग की वेब साईट पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। आपको तुरंत आपका शिकायत नंबर मिलेगा। आप दो चार दिन के बाद उस नंबर से आपकी शिकायत की स्थिति देख सकते हैं। वहां आपको लगभग 15 दिन तो अंडर प्रोसेस लिखा मिलेगा और आपकी उम्मीद जिन्दा रहेगी। उसके बाद आपको जवाब मिलेगा की आपकी शिकायत संबंधित अधिकारी को भेज दी गयी है। शिकायत को अधिकारी तक पहुंचाने का जो काम डाक विभाग तीन दिन में करता था वो डिजिटली 15 दिन में हो जायेगा। उसके बाद आप जब स्थिति चैक करेंगे तो उसमे " सॉल्व " लिखा आएगा। आप कुछ नही कर सकते। आप वेब साईट पर दिए गए फोन से इस बारे में जानकारी चाहेंगे तो जवाब आएगा की ये फोन नंबर उपलब्ध नही है। क्योंकि नई व्यवस्था में पुरानी परम्परा का पूरा ध्यान रखा गया है। वेब साईट बेसक इसी साल बनी है लेकिन उसमे टेलीफोन नंबर 10 साल पुराने दिए गए हैं। इस तरह आप डिजिटली अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं। जब साईट पर सॉल्व लिखा है तो आपको भी मान लेना चाहिए की समस्या सॉल्व हो चुकी है।
२. इसी डिजिटल इंडिया से देश के किसानो की समस्याओं का भी समाधान हो सकेगा। जिस किसान के यहां 20 मन आलू पैदा हुआ है वो गूगल पर सर्च कर सकता है की दुनिया के कौनसे देश में आलू की कीमत ज्यादा है। मान लो उसे पता चलता है की स्वीडन में आलू महंगा है तो वह अपने आलू को स्वीडन में बेच सकता है। गूगल द्वारा ही उसे एक्सपोर्ट लाइसेंस से लेकर बंदरगाह जैसी हर जानकारी मिल सकती है। जो किसान अब तक रो रहा था की आलू दो रूपये किलो भी नही बिक रहा है वो अब 200 रूपये किलो आलू बेच सकता है। इससे हमारे यहां किसान क्रान्ति हो जाएगी। अभी कुछ दिन पहले इसी तरह की कितनी क्रांतियाँ हमारे देश में हो चुकी हैं इसका जिक्र प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में किया ही था। इस तरह किसान पूरी दुनिया की मंडियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। उसने जो जनधन योजना में खाता खुलवा लिया था और उसमे भले ही एक रुपया ना डाला हो परन्तु वो नेट बैंकिंग से अपना बैलेंस चैक कर सकता है उसे इसके लिए पांच रूपये खर्च करके शहर जाने की जरूरत नही है वो गांव के साइबर कैफे में ये सेवा 20 रूपये घंटे के खर्चे पर प्राप्त कर सकता है। वरना वो ऑनलाइन सामान बेचने वाली साईट पर जाकर कम कीमत में कम्प्यूटर खरीद सकता है।
३. मजदूरों को भी इससे काफी लाभ होगा। जिस मजदूर के पास काम नही है वो गूगल पर सर्च कर सकता है की देश में कहाँ काम मिल सकता है। वो मनरेगा का भुगतान नही हुआ हो तो ऑनलाइन शिकायत कर सकता है लेकिन उसका तरीका वही होगा जो हमने ऊपर बताया है।
४. आपका बच्चा खो गया हो तो आप गूगल पर सर्च कर सकते हैं। किसी महिला के साथ बलात्कार हुआ हो और पुलिस कार्यवाही नही कर रही है तो वो बलात्कारी के साथ सेल्फ़ी लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर सकती है। आपके नल में पानी नही आ रहा है तो भी आप गूगल पर सर्च करके पता लगा सकते हैं की कहां तक पहुंचा। आपके यहां सुखा पड़ा है तो आप इंटरनेट पर पता लगा सकते हैं की आपके इलाके में कितने प्रतिशत बारिस कम हुई है। इसी तरह आपके बच्चे को स्कुल में एडमिशन नही मिल रहा है तो आप पता लगा सकते हैं की हमारे देश में स्कूलों और विद्यार्थिओं का अनुपात क्या है। इस तरह पुरे देश की समस्या हल हो सकती हैं। इंटरनेट पर हर चीज का इलाज मौजूद है।
५. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है की आपको भले ही ये लगता हो की आपकी जिंदगी मुस्किल हो गयी है और सरकार काम नही कर रही है परन्तु आप टीवी पर प्रायोजित भीड़ को प्रधानमंत्री के नारे लगाते देख सकते हैं। आपके मुहल्ले के लोग सरकार के बारे में क्या राय रखते हैं उसकी बजाए आप ये देख सकते हैं की जुकेरबर्ग सरकार के बारे में क्या कह रहे हैं। आपकी राय कोई अमरीकियों की राय से ज्यादा वजन तो नही रखती। प्रधानमंत्री अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में संसद की बजाय विदेश में जाकर लोगों से पूछ सकते हैं की ए मेरे देश के लोगो, बताओ, क्या मेरे ऊपर कोई आरोप है ? अगर किसी ने गलती से भी कह दिया की है, तो इवेंट मैनेजमेंट कम्पनी का भुगतान रोक दिया जायेगा।
६. इस तकनीक का एक फायदा और है। प्रधानमंत्री डिजिटल तकनीक का उपयोग करके अंग्रेजी में फर्राटेदार भाषण पढ़ सकते हैं और किसी को मालूम भी नही पड़ेगा। आप खुश हो सकते हैं की प्रधानमंत्री कितनी अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। इससे आपके मन में और विदेशों में हमारे देश का रुतबा बढ़ता है। वैसे भी प्रधानमंत्री कह रहे हैं की पूरी दुनिया हमारा लोहा मान रही है इसलिए भले ही हमारा बनाया हुआ लोहा मार्किट में ना बिके हमे उसकी चिंता करने की जरूरत नही है।
बस अब हम केवल गूगल पर ये सर्च कर रहे हैं की क्या भारत में होने वाले इलेक्सन में अमेरिकी वोट डाल सकते हैं ? एक बार इसका जवाब हाँ में मिल जाये फिर लोग लोकतंत्र, समाजवाद , समानता, भाईचारा, नागरिक अधिकार जैसी चीजों को गूगल पर ढूंढते ही रहेंगे।
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