देखिये सब कुछ होने पर ही निर्भर है। और जैसा हुआ है वैसा ही होने पर निर्भर है। बातचीत में बहुत लोग सवाल उठाते हैं की अगर ऐसा ना होता तो ? राजनेता तो इसे काल्पनिक सवाल कहकर ख़ारिज कर देते हैं। लेकिन हमने सोचा की अगर कुछ चीजें नही हुई होती तो क्या होता ? इस पर विचार करने पर हमने पाया की अगर ऐसा ना होता तो कैसा होता ? जैसे ----
अगर बिहार चुनाव सामने नही होता तो मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर बीजेपी की क्या पर्तिक्रिया होती ? तो हमने पाया की कुछ ऐसी होती।
बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रशाद , " मोहन भागवत जी ने बिलकुल वाजिब सवाल उठाया है। और ये सवाल देश की सारी जनता उठा रही है। उन्होंने ये कहा है की जब 65 साल से आरक्षण लागु होने के पश्चात भी उसका फायदा नही हो रहा है तो उसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। लेकिन विपक्ष बहस से भाग क्यों रहा है ? हमारा मानना है की अब समय आ गया है की आरक्षण पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए। "
इसी तरह मान लो पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी नितीश से अलग नही हुए होते तो बीजेपी क्या कहती ?
बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन , " नितीश को बिहार की जनता को इस बात का जवाब देना पड़ेगा की उन्होंने बिहार की जनता के सिर पर दो साल एक अक्षम आदमी को मुख्यमंत्री के तौर पर बैठा कर रक्खा। जो आदमी खुलेआम रिश्वत लेने की बात कबूल करता है और जिसने बिहार को गड्डे में धकेल दिया है उसके जिम्मेदार खुद नीतीश कुमार हैं और अब बिहार की जनता उन्हें इस बात का जवाब देगी। "
और मान लो अगर नीतीश बीजेपी से अलग ही नही हुए होते तो बीजेपी क्या कहती ?
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा , " पिछले दस साल में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में हमने बिहार को बदहाली और पिछड़ेपन की दलदल से निकाल कर देश के सबसे ज्यादा तेजी से विकास करने वाले राज्यों में शामिल कर दिया है। पिछले दस साल में बिहार में विकास की जो गंगा बही है वो अन्धो को भी दिखाई दे सकती है और इस चुनाव में बिहार की जनता एक बार फिर माननीय नीतीश कुमार के नेतृत्व पर विश्वास जाहिर करेगी। "
इसी तरह अगर केंद्र में UPA की सरकार होती और बीजेपी विपक्ष में होती तो GST बिल पर क्या कहती ?
बीजेपी प्रवक्ता अरुण जेटली , " GST पर राज्यों को कुछ गंभीर चिंताएं हैं। और जब तक केंद्र सरकार राज्यों की चिंताओं का समाधान नही करती तब तक GST का समर्थन करना हमारे लिए मुश्किल होगा। और सरकार को इस पर जोर जबरदस्ती के बजाय विपक्ष को विश्वास में लेकर आगे बढ़ना चाहिए। केवल बहुमत के सहारे कानून पास करना लोकतंत्र के खिलाफ होता है। "
मान लीजिये बीजेपी विपक्ष में होती और महंगाई के सवाल पर क्या बोलती ?
बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी , " देश की जनता का महंगाई से बुरा हाल है। प्याज 100 रूपये किलो और दालें 150 रूपये किलो बिक रही हैं और सरकार महंगाई घटने के आंकड़े पेश कर रही है। सरकार को समझना चाहिए की आंकड़ों से लोगों का पेट नही भरता। "
इसी तरह की और भी बहुत सी बातें हैं जो अगर नही हुई होती तो क्या होता ? हमने केवल कुछ ही चीजों की कल्पना की है।
अगर बिहार चुनाव सामने नही होता तो मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर बीजेपी की क्या पर्तिक्रिया होती ? तो हमने पाया की कुछ ऐसी होती।
बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रशाद , " मोहन भागवत जी ने बिलकुल वाजिब सवाल उठाया है। और ये सवाल देश की सारी जनता उठा रही है। उन्होंने ये कहा है की जब 65 साल से आरक्षण लागु होने के पश्चात भी उसका फायदा नही हो रहा है तो उसे खत्म कर दिया जाना चाहिए। लेकिन विपक्ष बहस से भाग क्यों रहा है ? हमारा मानना है की अब समय आ गया है की आरक्षण पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए। "
इसी तरह मान लो पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी नितीश से अलग नही हुए होते तो बीजेपी क्या कहती ?
बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन , " नितीश को बिहार की जनता को इस बात का जवाब देना पड़ेगा की उन्होंने बिहार की जनता के सिर पर दो साल एक अक्षम आदमी को मुख्यमंत्री के तौर पर बैठा कर रक्खा। जो आदमी खुलेआम रिश्वत लेने की बात कबूल करता है और जिसने बिहार को गड्डे में धकेल दिया है उसके जिम्मेदार खुद नीतीश कुमार हैं और अब बिहार की जनता उन्हें इस बात का जवाब देगी। "
और मान लो अगर नीतीश बीजेपी से अलग ही नही हुए होते तो बीजेपी क्या कहती ?
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा , " पिछले दस साल में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में हमने बिहार को बदहाली और पिछड़ेपन की दलदल से निकाल कर देश के सबसे ज्यादा तेजी से विकास करने वाले राज्यों में शामिल कर दिया है। पिछले दस साल में बिहार में विकास की जो गंगा बही है वो अन्धो को भी दिखाई दे सकती है और इस चुनाव में बिहार की जनता एक बार फिर माननीय नीतीश कुमार के नेतृत्व पर विश्वास जाहिर करेगी। "
इसी तरह अगर केंद्र में UPA की सरकार होती और बीजेपी विपक्ष में होती तो GST बिल पर क्या कहती ?
बीजेपी प्रवक्ता अरुण जेटली , " GST पर राज्यों को कुछ गंभीर चिंताएं हैं। और जब तक केंद्र सरकार राज्यों की चिंताओं का समाधान नही करती तब तक GST का समर्थन करना हमारे लिए मुश्किल होगा। और सरकार को इस पर जोर जबरदस्ती के बजाय विपक्ष को विश्वास में लेकर आगे बढ़ना चाहिए। केवल बहुमत के सहारे कानून पास करना लोकतंत्र के खिलाफ होता है। "
मान लीजिये बीजेपी विपक्ष में होती और महंगाई के सवाल पर क्या बोलती ?
बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी , " देश की जनता का महंगाई से बुरा हाल है। प्याज 100 रूपये किलो और दालें 150 रूपये किलो बिक रही हैं और सरकार महंगाई घटने के आंकड़े पेश कर रही है। सरकार को समझना चाहिए की आंकड़ों से लोगों का पेट नही भरता। "
इसी तरह की और भी बहुत सी बातें हैं जो अगर नही हुई होती तो क्या होता ? हमने केवल कुछ ही चीजों की कल्पना की है।
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