पिछले दिनों वर्ल्ड बैंक ने एक लिस्ट जारी की है जिसमे भारत में सबसे आसानी से बिजनेस किये जाने वाले राज्यों की सूचि जारी की है। मुझे बड़ा दुःख हुआ जब मैंने देखा की हमारे राज्य का नंबर तो झारखण्ड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े हुए राज्यों के भी बाद आता है। सो मैंने इन सभी राज्यों में मिलने वाली सुविधाओं और सहूलियतों का गहन अध्धयन करने के बाद कुछ सुझाव तैयार किये हैं जिन्हे अपनाकर दूसरे राज्य भी इस सूची में अपना नंबर सुधार सकते हैं। ये सारे सुझाव एकदम मुफ्त में और बिना मांगे दिए जा रहे हैं और मैं उम्मीद करता हूँ की इन्हे अपनाने वाले राज्य मेरी सेवाओं का सम्मान करेंगे।
सिंगल विंडो स्कीम -------
जब कोई आदमी किसी राज्य में बिजनेस शुरू करना चाहता है तो उसे अलग अलग कई विभागों से मंजूरी लेनी पड़ती है। सभी विभागों के अधिकारी काम करने के लिए सीधे सीधे पैसे लेने की बजाय दलालों की मार्फत पैसे लेते हैं। उन सभी अधिकारीयों के दलालों को ढूंढना काफी मुस्किल भी होता है और इसमें समय भी बहुत लगता है। इसलिए सरकार को एक सिंगल विंडो स्कीम पेश करनी चाहिए जिसमे एक ही दलाल सभी विभागों के अधिकारीयों का पैसा ले ले और बाद में अधिकारी और विभाग की हैसियत के हिसाब से बंटवारा कर दे। विकसित राज्यों में इन दलालों को सचिवालय के बाहर बैठने के लिए जगह दी गयी है जिससे इन्हे ढूंढने में कोई दिक्क़त नही हो। इस अनुभव का फायदा दूसरे राज्यों द्वारा भी उठाया जा सकता है।
खनन उद्योग माफिया के भरोसे --------
सरकार को ये पता लगाने के लिए की कहां कहां खनन किया जा सकता है और कैसे किया जा सकता है बहुत खर्चा करना पड़ता है। फिर भी अधिकारीयों के भरोसे ये काम ठीक से नही हो पाता है। इसलिए इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और पुरे खनन क्षेत्र को माफिया के भरोसे छोड़ देना चाहिए। ये साबित हो चूका है की माफिया खनन का विकास ज्यादा तेजी से करता है। सभी बिजनेस फ्रेंडली राज्यों ने खनन को माफिया के ही भरोसे छोड़ा हुआ है। अधिकारीयों का काम केवल उनसे पैसे लेकर ऊपर तक पहुंचाना होता है। इससे सरकार का समय भी बचता है और नए नए क्षेत्रों में खनन का विकास भी तेजी से होता है।
व्हिसल ब्लोवरों पर लगाम --------
हर राज्य में कुछ विकास विरोधी लोग होते हैं जो सरकार और बिजनेस मैन के काम में अड़ंगा लगाते रहते हैं और अपने आप को व्हिसल ब्लोवर कहते हैं। विकास के हित में इन पर लगाम लगाई जानी बहुत जरूरी है। उनमे से दो-तीन को मार दिया जाये तो बाकि को धमकाना आसान हो जायेगा। हर विकास शील राज्य ने यही तरीका अपनाया है। उसके बाद ये समस्या धीरे धीरे कम हो जाती है। पुलिस को आदेश दिए जाएँ की अगर कोई व्हिसल ब्लोवर धमकी की शिकायत लेकर पुलिस के पास आये तो उसी पर ब्लैकमेल का मुकदमा बना दिया जाये।
श्रम विभाग को नया काम --------
किसी भी राज्य में उद्योग के विकास के लिए ये जरूरी है की मजदूर कानूनो को संविधान के बाहर मान लिया जाये। हर बिजनेसमैन को ये छूट दी जाये की वो कितनी ही देर काम करवाये और कितना ही वेतन दे। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका ये है की राज्य में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया जाये और मजदूर कानूनों को बदलने का झंझट लेने की बजाए उन पर ध्यान ना देने का रास्ता अपनाया जाये। यूनियनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाये और श्रम विभाग का काम केवल ठेकेदारों का पता लगाकर उनसे पैसे इक्क्ठे करने तक सिमित कर दिया जाये। वैसे ज्यादा विकसित राज्यों में तो ये काम उद्योगपतियों के जिम्मे ही है की वो हर महीने ठेकेदारों के भुगतान में से पैसे काटकर विभाग में जमा करा दे। अब जब उनको प्रोविडेंट फंड और ईएसआई जमा करवाने से छुटकारा मिल गया है तो वो इतना काम तो राज्य की भलाई में कर ही सकते हैं।
टैक्स सुधारों को लागु करना ------
टैक्स सुधारों का मुद्दा इसमें काफी मायने रखता है। सरकार को पिछले दरवाजे से जो टैक्स आता है उसकी प्रगति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए। बाकि खजाने में कितना टैक्स आता है उस की ज्यादा चिंता नही करनी चाहिए। उसमे अगर कमी आती है तो पट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाकर पूरा किया जा सकता है। पिछले दरवाजे से टैक्स देने वाले व्यापारियों को बही खातेचैक करवाने से छूट दी जाये। इससे जो सफेद धन को काला करने की प्रकिर्या है उसमे तेजी आएगी। इन टैक्स सुधारों को लागु करना बिजनेस फ्रेंडली राज्य बनाने के लिए बहुत जरूरी है।
विकास के प्रचार में तेजी -----
इस उपलब्धि के लिए जो काम सबसे जरूरी है वो ये की विकास के प्रचार में तेजी लाई जाये। चाहे आदिवासियों के विस्थापन का सवाल हो, चाहे किसानो की जमीन छीनने का काम हो या पर्यावरण का सवाल हो, इनका विरोध करने वाले हर आदमी और संस्था को विकास विरोधी और बाद में देशद्रोही घोषित कर दिया जाये। उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएँ और मीडिया हाउसों को इसकी खबरों पर बैन लगाने के आदेश दिए जाएँ। इन लोगों पर हमला इतना तेज किया जाये की जब तक लोगों को सच्चाई समझ में आये तब तक काम पूरा हो चुका हो।
ये कुछ सुझाव बहुत छानबीन और विचार करने के बाद तैयार किये गए हैं और राज्य इनसे लाभ उठा सकते हैं।
सिंगल विंडो स्कीम -------
जब कोई आदमी किसी राज्य में बिजनेस शुरू करना चाहता है तो उसे अलग अलग कई विभागों से मंजूरी लेनी पड़ती है। सभी विभागों के अधिकारी काम करने के लिए सीधे सीधे पैसे लेने की बजाय दलालों की मार्फत पैसे लेते हैं। उन सभी अधिकारीयों के दलालों को ढूंढना काफी मुस्किल भी होता है और इसमें समय भी बहुत लगता है। इसलिए सरकार को एक सिंगल विंडो स्कीम पेश करनी चाहिए जिसमे एक ही दलाल सभी विभागों के अधिकारीयों का पैसा ले ले और बाद में अधिकारी और विभाग की हैसियत के हिसाब से बंटवारा कर दे। विकसित राज्यों में इन दलालों को सचिवालय के बाहर बैठने के लिए जगह दी गयी है जिससे इन्हे ढूंढने में कोई दिक्क़त नही हो। इस अनुभव का फायदा दूसरे राज्यों द्वारा भी उठाया जा सकता है।
खनन उद्योग माफिया के भरोसे --------
सरकार को ये पता लगाने के लिए की कहां कहां खनन किया जा सकता है और कैसे किया जा सकता है बहुत खर्चा करना पड़ता है। फिर भी अधिकारीयों के भरोसे ये काम ठीक से नही हो पाता है। इसलिए इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और पुरे खनन क्षेत्र को माफिया के भरोसे छोड़ देना चाहिए। ये साबित हो चूका है की माफिया खनन का विकास ज्यादा तेजी से करता है। सभी बिजनेस फ्रेंडली राज्यों ने खनन को माफिया के ही भरोसे छोड़ा हुआ है। अधिकारीयों का काम केवल उनसे पैसे लेकर ऊपर तक पहुंचाना होता है। इससे सरकार का समय भी बचता है और नए नए क्षेत्रों में खनन का विकास भी तेजी से होता है।
व्हिसल ब्लोवरों पर लगाम --------
हर राज्य में कुछ विकास विरोधी लोग होते हैं जो सरकार और बिजनेस मैन के काम में अड़ंगा लगाते रहते हैं और अपने आप को व्हिसल ब्लोवर कहते हैं। विकास के हित में इन पर लगाम लगाई जानी बहुत जरूरी है। उनमे से दो-तीन को मार दिया जाये तो बाकि को धमकाना आसान हो जायेगा। हर विकास शील राज्य ने यही तरीका अपनाया है। उसके बाद ये समस्या धीरे धीरे कम हो जाती है। पुलिस को आदेश दिए जाएँ की अगर कोई व्हिसल ब्लोवर धमकी की शिकायत लेकर पुलिस के पास आये तो उसी पर ब्लैकमेल का मुकदमा बना दिया जाये।
श्रम विभाग को नया काम --------
किसी भी राज्य में उद्योग के विकास के लिए ये जरूरी है की मजदूर कानूनो को संविधान के बाहर मान लिया जाये। हर बिजनेसमैन को ये छूट दी जाये की वो कितनी ही देर काम करवाये और कितना ही वेतन दे। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका ये है की राज्य में ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया जाये और मजदूर कानूनों को बदलने का झंझट लेने की बजाए उन पर ध्यान ना देने का रास्ता अपनाया जाये। यूनियनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाये और श्रम विभाग का काम केवल ठेकेदारों का पता लगाकर उनसे पैसे इक्क्ठे करने तक सिमित कर दिया जाये। वैसे ज्यादा विकसित राज्यों में तो ये काम उद्योगपतियों के जिम्मे ही है की वो हर महीने ठेकेदारों के भुगतान में से पैसे काटकर विभाग में जमा करा दे। अब जब उनको प्रोविडेंट फंड और ईएसआई जमा करवाने से छुटकारा मिल गया है तो वो इतना काम तो राज्य की भलाई में कर ही सकते हैं।
टैक्स सुधारों को लागु करना ------
टैक्स सुधारों का मुद्दा इसमें काफी मायने रखता है। सरकार को पिछले दरवाजे से जो टैक्स आता है उसकी प्रगति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए। बाकि खजाने में कितना टैक्स आता है उस की ज्यादा चिंता नही करनी चाहिए। उसमे अगर कमी आती है तो पट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाकर पूरा किया जा सकता है। पिछले दरवाजे से टैक्स देने वाले व्यापारियों को बही खातेचैक करवाने से छूट दी जाये। इससे जो सफेद धन को काला करने की प्रकिर्या है उसमे तेजी आएगी। इन टैक्स सुधारों को लागु करना बिजनेस फ्रेंडली राज्य बनाने के लिए बहुत जरूरी है।
विकास के प्रचार में तेजी -----
इस उपलब्धि के लिए जो काम सबसे जरूरी है वो ये की विकास के प्रचार में तेजी लाई जाये। चाहे आदिवासियों के विस्थापन का सवाल हो, चाहे किसानो की जमीन छीनने का काम हो या पर्यावरण का सवाल हो, इनका विरोध करने वाले हर आदमी और संस्था को विकास विरोधी और बाद में देशद्रोही घोषित कर दिया जाये। उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएँ और मीडिया हाउसों को इसकी खबरों पर बैन लगाने के आदेश दिए जाएँ। इन लोगों पर हमला इतना तेज किया जाये की जब तक लोगों को सच्चाई समझ में आये तब तक काम पूरा हो चुका हो।
ये कुछ सुझाव बहुत छानबीन और विचार करने के बाद तैयार किये गए हैं और राज्य इनसे लाभ उठा सकते हैं।
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