Thursday, July 23, 2015

Vyang - सबसे बढ़िया धन्धा - पर जो धन्धा नही था (भाग-१)

खबरी -- इस मंदी के दौर में कौनसा धन्धा अच्छा है ?


गप्पी -- हर आदमी यही सवाल पूछ रहा है। लेकिन मुझे कुछ ऐसे धन्धे मालूम हैं जो इस समय में बहुत लाभदायक हैं। पहले लोग कहते थे की उत्तम खेती, मध्यम व्यापार। पर अब सबसे खराब काम अगर कोई रह गया है तो वह है खेती। खेती करने वाले ज्यादातर लोग ये काम छोड़ना चाहते है पर इससे छुटकारा केवल मर कर ही मिल सकता है। वो बात अलग है की पिछले कुछ सालों में कई लाख लोग इस तरह भी ये काम छोड़ चुके हैं। परन्तु हम बात कर रहे थे मुनाफदेय धन्धों की। इनकी एक पूरी लिस्ट मेरे पास है और ये वो धन्धे हैं जिन्हे कुछ समय पहले तक धन्धा नही माना जाता था। ये तो भला हो विकास करती हुई वर्तमान व्यवस्था का की उसने पता नही कितने कामों को धंधा बना दिया और कितने धंधों को मुनाफादेय बना दिया। सो मैं आपको उनकी लिस्ट बता रहा हूँ। 

धर्म --- आजकल सबसे ज्यादा मुनाफे का धंधा अगर कोई है तो वो धर्म है। इस धंधे में अपार सम्भावनाएं हैं। और इसमें चुनाव के अवसर भी दूसरे धंधों से ज्यादा हैं। अगर आप धोड़ी बहुत इन्वेस्टमेंट कर सकते है तो पॉश इलाके में कोई मन्दिर खोल कर बैठ सकते हैं। अगर आपकी जान-पहचान ज्यादा है तो आप यही मंदिर सरकारी जमीन पर भी बना सकते हैं। पहले तो सरकार और प्रशासन की ही कोई इच्छा नही होती है सरकारी जमीन से मंदिर हटाने की। अगर कोई अधर्मी अधिकारी ऐसा करने की कोशिश करता भी है तो आप लोगों को इक्क्ठा करके दंगा करवा सकते हैं। पहले से दूसरे धर्म के दो चार ऐसे स्थानों के नाम याद करके रक्खो और कहो की जब तक फलां मस्जिद नही हटाई जाती हम मन्दिर नही हटने देंगे और की सरकार दूसरे धर्म का तुष्टिकरण कर रही है। इस देश के लोग भरी बस में एक गुण्डे से किसी लड़की को बेशक ना बचायें पर मंदिर के नाम पर कट मरने को तैयार हो जायेंगे। बस धंधा हो गया सैट। 

                      अगर आपके पास थोड़ा पैसा भी लगाने को नही है तो यू-ट्यूब पर कुछ कथावाचकों के वीडियो देख कर याद कर लीजिये। अपने नाम के आगे सन्त लिखना शुरू कर दीजिये और पहले किसी मित्र के मुहल्ले में मुफ्त में कथा कर दीजिये। कथा में ज्यादा कुछ करना नही होता। भागवत कथा का नाम लीजिये और गुरु की महिमा गाइये। आपको भगवान से क्या लेना देना है अपनी मार्किट बनाने पर ध्यान दीजिये। ये दोहा जो सारे गावं को अच्छी तरह याद है उसे हर दिन कथा में कम से कम दस बार दुहराइए। '' गुरु गोविन्द दोउ खड़े, काके लागूं पांव। बलिहारी गुरु आपणो जिन गोविन्द दियो मिलाय। " दो तीन भजन करने वाले लोगों को तनखा पर रख लीजिये जिन्हे कुल मिलाकर दस भजन याद करवा दीजिये। एक तो कथा का तीन चौथाई समय ये लोग खा जायेंगे और आपकी समस्या हल हो जाएगी। दूसरा उन्हें भी गुरु महिमा के ही भजन याद करने को कह  दीजिये।  वो लोग गाएंगे, " आनन्द ही आनन्द बरस रहा गुरुदेव तुम्हारे चरणो में। " और सारे भक्त भाव विभोर होकर झूमेंगे। एकाध भजन भगवान के बारे में गाना भी पड़े तो वो ऐसा होना चाहिए की भगवान की छवि ऐसी बने जैसे वो कोई लोफर और मशखरे किस्म का लगे।  जैसे, " तेरा श्याम बड़ा अलबेला, मेरी मटकी को मार गया ढेला। " अगर आपमें थोड़ी सी भी बुद्धि होगी तो बड़ी जल्दी तरक्की होगी। लोगों के पैसे से बढ़िया आश्रम बनाइये और आराम से रहिये मोह माया से परे। इस धंधे की दूसरी खासियत ये है की इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है। सरकार जब किसी उद्योग का विकास करना चाहती है तो उसे टैक्स वगैरा में कुछ छूट देती है। इस धंधे को सौ प्रतिशत छूट हासिल है इसलिए आप समझ सकते हैं की सरकार इसे बढ़ाने के लिए कोई कसर नही छोड़ रही। थोड़ा पैसा हो जाये तो आप किसी धार्मिक टीवी चैनल का आधा घंटा किराये पर ले सकते हैं। एक बार आप टीवी पर आये नही की आपके भक्तों की तादाद रॉकेट गति से बढ़ती है। हालत ये हो जाती है की लोगों को ही नही, खुद आपको भी लगने लगता है की आपमें कोई अलौकिक शक्ति है। 

           ( दूसरे धन्धे के बारे मैं कल )

                       

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