Wednesday, July 15, 2015

Vyang -- बस टल गया परमाणु खतरा

गप्पी -- एकदम ताजा खबर है की ईरान ओर अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हो गया है। अब दुनिया को घबराने की कोई जरूरत नही है। दुनिया को केवल उन परमाणु हथियारों से खतरा है जिन्हे अमेरिका अपने लिए खतरा मानता है। या फिर उन हथियारों से खतरा है जो अमेरिका द्वारा किसी देश को धमकाने के आड़े आते हैं। 

              इस बातचीत में अमेरिका के साथ जो दूसरे देश शामिल थे उन सब देशों के पास परमाणु हथियार हैं। लेकिन उनसे दुनिया को कोई खतरा नही है। क्योंकि ये हथियार इन्होने एक दूसरे के खिलाफ बनाये हैं, दुनिया के खिलाफ नही बनाये। और ये सब सभ्य देश हैं बाकि की दुनिया जंगली है। अगर उनके पास परमाणु हथियार होंगे तो उन्हें असुरक्षित माना जायेगा। जब भारत ने परमाणु विस्फोट किया था तब भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगाये थे परमाणु अप्रसार का नाम लेकर। अब इस समझौते के बाद भी अमेरिका ने कहा है की इससे परमाणु प्रसार रुकेगा। यानि इन पांच महाशक्तियों के अलावा किसी को परमाणु हथियार बनाना तो छोडो, शान्तिपूर्ण कामों के लिए भी परमाणु क्षमता विकसित करना अंतर राष्ट्र्रीय अपराध है। 

            कुछ लोगों का कहना है की अमेरिका ने इराक, लीबिया, सीरिया और दूसरे मुल्कों में जो किया, क्या वो अपराध नही था। इन देशों के पास तो परमाणु हथियार भी नही थे।अमेरिका का कहना है की उसने इन देशों में लोकतंत्र की स्थापना कर दी है। अब वहां हर आदमी सरकार होने का दावा कर रहा है कितना विस्तृत लोकतंत्र है। इसलिए दुनिया को उसका आभार मानना चाहिए। लेकिन लोग अहसान फरामोश हो गए हैं। कुछ लोगों का तो ये भी कहना है की अमेरिका ने इन देशों में जो किया वो केवल इसीलिए कर पाया की इन देशों के पास परमाणु हथियार नही थे। इसी डर से की अमेरिका उनके साथ भी ये कर सकता है ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देश न्यूनतम प्रतिरोध के लिए परमाणु हथियार बनाना चाहते हैं। 

                 लेकिन अमेरिका अपने हथियारों को दुनिया के लिए सुरक्षित मानता है। इसके बावजूद मानता है की वो अकेला ऐसा देश है जिसने परमाणु हथियारों का प्रयोग किया है। उसने हिरोशिमा और नागाशाकी पर परमाणु हमला किया था तब जापान के पास परमाणु हथियार नही थे। अगर होते तो क्या अमेरिका ये हमला कर सकता था ? अगर रूस के पास परमाणु हथियार नही होते तो क्या अमेरिका अब तक उसका वजूद रहने देता। 

                   लेकिन छोडो इन बातों को, अब जब अमेरिका कह रहा है की अब दुनिया को उसके अलावा और किसी से खतरा नही है तो दुनिया को मान लेना चाहिए। लेकिन लोग कह रहे हैं की दुनिया को तो हमेशा उससे ही खतरा रहा है, बाकि तो किसी से था ही नही। आप ऐसा मत सोचिये की अमेरिका से खतरा केवल उसके दुश्मनों को ही है। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप अमेरिका पर पक्षपात का इल्जाम लगा रहे हैं। आप पाकिस्तान को देख लीजिये। पिछले दस सालों में अमेरिकी ड्रोन हमलों में वहां के 85000 लोग मारे जा चुके हैं। वो तो अमेरिका का मित्र देश है। क्या आप अब भी अमेरिका की तठस्थता पर शक करते हैं। अब हम अमेरिका के मित्र बनने की तरफ बढ़ रहे हैं तो निकट भविष्य में हमे भी अमेरिकी पक्षपात विहीन नीति का उदाहरण मिल सकता है। 

                    एक बात है जो मुझे समझ नही आ रही है की दुनिया को खतरा उन परमाणु हथियारों से है जो मौजूद हैं या उनसे है जो अभी बने नही हैं। अगर परमाणु हथियारों को ये इतना ही बड़ा खतरा मानते हैं तो ये उन्हें खत्म क्यों नही कर देते। ईरान से बातचीत में जाते वक्त अगर ये रास्ते में अपने परमाणु हथियारों को भी खत्म करने की बात कर लेते तो दुनिया में किसी दूसरे देश को इन हथियारों की जरूरत ही नही पड़ती। 

 

खबरी -- पुरानी कहावत है की पर उपदेश कुशल बहुतेरे।

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