गप्पी -- कल हमने एक धन्धे के बारे में बात की। आज हम ऐसे ही दूसरे धन्धों के बारे में बात करेंगे जो कभी धन्धे नही माने जाते थे परन्तु आज के समय में भारी मुनाफा देने वाले धंधे हैं।
राजनीति --- आज के समय में राजनीति सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाला धन्धा है। इस धन्धे की पहली खासियत ये है की वैसे तो हमारे देश में चपरासी तक की नौकरी के लिए न्यूनतम क्वालिफिकेशन निश्चित है लेकिन राजनीती के धंधे के लिए ऐसी कोई शर्त नही है। एक बिलकुल अंगुठाटेक आदमी ना केवल सांसद या विधायक हो सकता है बल्कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री भी हो सकता है। दसवीं तक पढ़ा लिखा आदमी शिक्षा मंत्री हो सकता है और सारी जिंदगी झाड़-फूंक करने वाला विज्ञानं और तकनीकी मंत्री हो सकता है। दूसरा फायदा इस धंधे का यह है की देश की जनता ने भी अब इसे पूर्णकालिक धंधा मान लिया है सो इसे धंधे की तरह करने में कोई नैतिक रुकावट नही है। वैसे मैं माफ़ी चाहता हूँ की राजनीती के धंधेबाजों से मैं नैतिकता की बात कर रहा हूँ।
ये धंधा शुरू करने का सबसे अच्छा समय यही है। क्योंकि एक तो कुछ सालों के बाद ये धंधा बिलकुल पारिवारिक धंधा हो जाने वाला है और शायद नए लोगों को इसमें जगह नही मिले। इसलिए इसे जितना जल्दी शुरू कर लिया जाये उतना बेहतर है। दूसरा अभी बाकि दुकानों की छवि इतनी खराब है की नए दुकानदार को जमने में ज्यादा समय नही लगेगा।
इस धंधे के लिए जो चीजें जरूरी हैं उनमे एक तो आपको किसी भेड़ - भेड़िये की खाल या गिरगिट की कला आनी चाहियें। आप को अभी-अभी तुरंत कही गयी बात को तुरंत इनकार करने का अभ्यास कर लेना चाहिए। आजकल मीडिआ वीडियो रिकॉर्डिंग कर लेता है इसलिए ये कहना की मीडिया ने मेरी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया है थोड़ा मुश्किल हो गया है लेकिन विद्वान राजनीतिज्ञों ने अब ये कहना शुरू कर दिया है की मीडिया ने मेरी बात को सही संदर्भ में पेश नही किया है। इस तरह किसी पढ़े-लिखे आदमी को सचिव रक्खा जाये तो बेहतर रहता है। वह आपके रोज-रोज के बयानों के अलावा भाषण भी लिख देगा।
इस धंधे में सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है की आपकी जाती या धर्म के लोगों की तादाद आपके इलाके में कितनी है। अगर वह बहुमत लायक है तब तो चिंता की कोई बात ही नही है। आप तुरंत शोर मचाना शुरू कर सकते है की इस जाती या धर्म के साथ भारी अन्याय हो रहा है और अब सबको इकट्ठे हो जाने की जरूरत है। अगर आपकी जाती या धर्म के लोगों की तादाद कम है तो भी परेशान होने की जरूरत नही है। आप अपनी जाती को किसी दूसरे और नीचे के वर्ग में रखने का आंदोलन चला सकते हैं। आजकल आरक्षण के लिए एक सीढ़ी नीचे उतरने को हर जाती तैयार बैठी है। स्वर्ण जातियां बैकवर्ड में शामिल होने, बैकवर्ड जातियां अनुसूचित जाती में शामिल होने के आंदोलन चल रहे हैं। जिस वर्ग की जातियों के हाथ का छुआ हुआ ये लोग पानी नही पीते थे अब उस में शामिल होने के लिए सारा जोर लगा हुआ है। सो इस तरह का कोई बखेड़ा खड़ा किया जा सकता है।
अगर आप इस ढांचे में भी फिट नही बैठते हैं तो दो चार सन्तों और पत्रकारों को पाल लीजिये। और खुद ही बयान देना शुरू कर दीजिये की नही ये खबर गलत है की मैं भाजपा या कांग्रेस में जा रहा हूँ। हर दूसरे दिन दल बदलने का खंडन कर दीजिये। महीने दो महीने में कोई ना कोई आपसे सम्पर्क जरूर करेगा और आपका काम हो जायेगा। उससे पहले हर हफ्ते राजधानी की यात्रा कीजिये और आसपड़ोस से लेकर पूरे मुहल्ले में बता दीजिये की भाई साब ( भाई साब मतलब कोई भी मंत्री का नाम ले दीजिये )ने बुलाया है। मंत्री का नाम केवल एक-दो बार ही लीजिये उसके बाद केवल भाई साब कहिये। राजधानी में सचिवालय जाकर कहीं बैठ जाइये और शाम को वापिस आ जाइये। वापिस आकर सबको बताइये की भाई साब ने क्या-क्या कहा। खाना ट्रेन में ही खा लीजिये और जब घर से कोई खाने के लिए बुलाने आये तो लोगों के बीच में ही कहिये की भाई साब ने इतना खिला दिया की दो दिन कुछ नही खाया जायेगा। थोड़े दिन में आप एक इलाके के नेता हो जायेंगे।
कुछ जरूरी चीजें हैं जिन्हे अच्छी तरह याद कर लीजिये।
१. राजनीती में देश का मतलब कभी भी अपने घर की चारदीवारी से बाहर नही होता।
२. राजनीती में हर कुकर्म ये कहकर किया जाता है की जनहित के लिए कर रहे हैं।
३. विपक्ष का हर नेता और हर पार्टी देशद्रोही होते हैं।
४. भृष्टाचार जैसा शब्द केवल विपक्ष के लिए इस्तेमाल होता है।
५. वायदा करने में कभी पीछे मत रहिये, चाँद को लाने और गंगा को वापिस भेजने का वायदा भी किया जा सकता है।
६. अपनी सारी विफलताओं का दोष विरोधियों के माथे मढ़िए। अगर एक बार गलती से मुंह से दो और दो पांच निकल जाये तो उसी पर अड़े रहिये।
बाकि हालात के हिसाब से कुछ दूसरे पाठ भी हैं लेकिन शुरुआत के लिए इतना काफी है।
बाकि कल -----------
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