खबरी -- मोदीजी ने अभी जो "मन की बात" की है उस पर तुम्हारा क्या कहना है ?
गप्पी -- क्या कहना है ? अरे ! मैं कहता हूँ की मजा आ गया। जिस दिन से इस बात का जिक्र हो रहा था की मोदीजी मन की बात करने वाले हैं उसी दिन से कोहराम मचा हुआ था। सारा मीडिया कयास लगा रहा था। लोग इंतजार में घड़ी देख रहे थे। विपक्ष के लोगों की दिल की धड़कन तेज हो रही थी। सबको लगता था की मोदीजी अब तो कम से कम भृष्टाचार के आरोपों पर बोलेंगे। देखते हैं क्या कहते हैं। सुषमाजी और वसुंधराजी की सफाई किस तरह देंगे। ललित मोदी पर क्या कहेंगे। पर सब धरे रह गए। मोदीजी ने एक शब्द नही बोला। अब बोलो क्या बोलते हो। सबके चेहरे उतरे हुए थे। कुछ हाथ में नही आया। कुछ लोगों का अनुमान था की संसद न चलने पर विपक्ष को कोसेगे , आरोप लगाएंगे की विपक्ष देश की तरक्की में अड़ंगा डाल रहा है। पर नही बोले। कुछ लोगों में तो शर्तें लगी हुई थी। एक कह रहा था की ये बोलेंगे, दूसरा कह रहा था की नही, ये बोलेंगे। दोनों हार गए। मैं तो कहता हूँ की क्रिकेट पर सट्टा लगाने वाले अगर इस बात पर सट्टा लगाएं की प्रधानमंत्री मन की बात में किस बात पर बोलेंगे तो ज्यादा बड़ा काम हो सकता है। प्रधानमंत्री का मन समझना भरतीय टीम के स्कोर के अनुमान से ज्यादा कठिन है।
मैं कहता हूँ की मजा आ गया। प्रधानमंत्री जी आपके मन को कौन समझ सकता है। लोग इसे ना तो चुनाओं के पहले समझ पाये और ना बाद में। इस बात को आपने साबित कर दिया की आप किसी के हाथ आने वाले नही हैं। देश में एक से एक बड़ा मसला पड़ा है। चर्चाएं चल रही हैं। लेकिन आप बोले सड़क दुर्घटनाओं पर। विपक्ष के लोगों को छोडो, मीडिया और खुद बीजेपी के लोग तक अनुमान नही लगा पाये। आपकी कपैसिटी पर जिन लोगों को संदेह था शायद अब दूर हो गया हो। आपकी महिमा उनको समझ में आ गयी हो। इतने जलते हुए सवालों के बीच से आप यों साफ निकल गए की देखते ही बनता था।
परन्तु आपकी एक बात मुझे समझ में नही आई। आपने पंद्रह अगस्त के भाषण के लिए लोगों से सुझाव क्यों मांगे। मैं कहता हूँ की ये आपने ठीक नही किया। लोग तो भरे बैठे हैं। पता नही क्या-क्या सुझाव भेज देंगे। आपके पास कौनसा मुद्दों का अकाल पड़ा है जो आप उनसे पूछ रहे हैं। इस देश के लोगों की सोच बहुत छोटी है। ये अब तक बेरोजगारी, महंगाई जैसे तुच्छ चीजों और मुद्दों से ऊपर नही उठ पाये हैं। सो इनसे कुछ मत पूछा करो। इन बेवकूफों को तो ये भी नही पता की चुनाव से पहले के और चुनाव के बाद के, दोनों मुद्दे अलग अलग होते हैं।
मैं तो कहता हूँ की आपने इतने देशों की यात्रायें की हैं। पंद्रह अगस्त पर आप उन यात्राओं के अनुभव सुना सकते हैं। एकदम नई बात हो जाएगी। अगर कोई भारी भरकम मुद्दा चाहिए जैसे विज्ञानं वगैरा से संबंधित तो आप कैपलर नाम के उस ग्रह पर बोल सकते हैं जिसे नासा ने अभी अभी खोजने का दावा किया है। आप इस पर अपना दावा भी ठोंक सकते हैं की हमारा है। आप कह सकते हैं की यह ग्रह उन हाथियों से बना है जो महाभारत के युद्ध में भीम ने फेंके थे। जब से आपने गणेश के सर पर भरतीय वैद्यों द्वारा सर्जरी से हाथी का सिर जोड़ने की बात कही है वैज्ञानिक लोग आपको गंभीरता से नही लेते। सो इस पर कोई विवाद खड़ा नही होगा और आपको अमरीका का समर्थक कहने वालों को बोलती भी बंद हो जाएगी । पंद्रह अगस्त देखने आई भीड़ इस पर तालियां जरूर बजाएगी। लेकिन लोगों से सुझाव मत मांगीये। ये पता नही क्या कह देंगे।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.