Thursday, July 9, 2015

Vyang--शिवराज सिंह हाजिर हों।


गप्पी -- मध्यप्रदेश आजकल खबरों में है। खबरों में व्यापम घोटाले की वजह से है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर आरोप लग रहे हैं और वो इनकार कर रहे हैं हमेशा की तरह। ये तय किया गया की एक जनअदालत लगा ली जाए जिसमे शिवराज सिंह से कुछ सवाल पूछे जाएँ।

          अदालत लगी हुई है। आवाज लगाई जाती है, शिवराज सिंह हाजिर हों।

           शिवराज सिंह अदालत में हाजिर होते हैं तो जनता का वकील उनसे सवाल पूछता है।

वकील -- क्या आप जनता के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है ?

शिवराज सिंह -- मैं जनता के प्रति जवाबदेह नही हूँ। वैसे तो मैं किसी के प्रति भी जवाबदेह नही हूँ। परन्तु जनता के प्रति जवाबदेह होने का तो सवाल ही पैदा नही होता। हमारी पार्टी में इसका रिवाज ही नही है।

वकील -- लेकिन आप जनता के चुने हुए नुमाइन्दे हैं। आप जनता के प्रति जवाबदेही से इनकार कैसे कर सकते हैं ?

शिवराज सिंह -- मुझे मुख्यमंत्री जनता ने नही बनाया, पार्टी ने बनाया है। इसलिए मैं जनता के प्रति नही पार्टी के प्रति जवाबदेह हूँ। जनता को अपना भरम निकाल देना चाहिए।

वकील -- लेकिन आपको विधायक तो जनता ने ही चुना है।

शिवराज सिंह -- आपने मुझे यहां मुख्यमंत्री की हैसियत से बुलाया है। इसलिए बात भी उसी हिसाब से कीजिये। मैं यहां विधायक की हैसियत से नही आया। हूँ, जनता।

वकील -- क्या आप व्यापम घोटाले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं। 

शिवराज सिंह -- आप हमसे नैतिकता की बात कैसे कर सकते हैं ? आपको मालूम होना चाहिए की हम राजनीती में हैं। 

वकील -- तो आप किस चीज की जिम्मेदारी लेते हैं। 

शिवराज सिंह -- हम केवल मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी लेते हैं। मध्यप्रदेश का विकास हमारी जिद है, हमारा पैशन है। 

वकील -- लेकिन इतना बड़ा घोटाला हुआ है। 

शिवराज सिंह -- ये मध्यप्रदेश को बदनाम करने की साजिश है ये स्टैण्ड हमने कल ही तय किया है। अब आपको हररोज ये सुनने को मिलेगा की ये मध्यप्रदेश को बदनाम करने की साजिश है। बिलकुल गुजरात की तरह। ये कांग्रेस की साजिश है। 

वकील -- क्या आप कहना चाहते हैं की घोटाला नही हुआ ? तो फिर आप कैसे कहते हैं की इस घोटाले का पर्दाफाश आपने किया था। 

शिवराज सिंह -- हाँ, हम मानते हैं की घोटाला हुआ है इसीलिए तो हम जाँच करा रहे हैं। आखिर सबसे ज्यादा नुकशान तो हमारा ही हुआ है। 

वकील -- वो कैसे ?

शिवराज सिंह --  देखिए पूरी बात ध्यान से सुनिए। वरना आप कभी भी इस घोटाले की गंभीरता और हमारा नुकशान समझ नही पाएंगे। पहले कांग्रेस का राज था। दाखिलों और भर्तिओं की कोई सही प्रणाली नही थी। पर्चियों पर भर्ती हो जाती थी। हमने व्यापम की स्थापना की। आप नाम से ही समझ सकते हैं की हमारी योजना कितनी व्यापक थी। हमने सारी नौकरियों के रेट तय किये। दाखिलों के रेट तय किये। MBBS का 35 लाख और MD का एक करोड़। इसी तरह इंजीनियरिंग के रेट तय किये। फिर सभी नौकरियों के रेट तय किये। MBBS का झूठा पेपर देने के पैसे तय हुए। दलाली की दरें तय की। हमारे पास नई नौकरियां नही थी तो हमने 10 -15 साल से नौकरी कर रहे अध्यापकों को पेपर दिलवा कर 24000 अध्यापकों को बर्खास्त किया और उनकी जगह नई भर्तियां की। हम सोच रहे थे की इस तरह लगाये हुए अध्यापकों के पढाये हुए बच्चे तो भविष्य में पेपर पास ही नही कर पाएंगे और हमारा धन्धा बढ़ेगा। इस तरह की पूरी योजना बनाने और लागु करने में कितनी मेहनत होती है आप समझ सकते हैं। लेकिन अब हिसाब मिलाता हूँ तो हिसाब ही नही मिल रहा। जितनी नौकरियाँ दी गयी, दाखिले किये गए उसके हिसाब से जितना पैसा आना चाहिए था नही आया। घोटाला हो गया। इसलिए मैंने जाँच शुरू की। मेरी तो सारी मेहनत पानी में चली गयी। 

वकील -- लेकिन आपने अभी जो सीबीआई की जाँच की मांग की है तो लोग कहते हैं की रपट पड़े तो हर-गंगा। 

शिवराज सिंह -- जिन लोगों ने मेरे साथ ये घोटाला किया वो ही विपक्ष से मिल गए। कहते हैं की हमारा नाम आया है तो तुम्हारा भी आना चाहिए। कलियुग है। मैं अगर नही कहता तो भी सीबीआई जाँच तो होनी ही थी। इसलिए मैंने भी कह दिया। 

वकील -- सुना है की आपकी पार्टी के अंदर भी आपसे इस्तीफा मांगने वाले बढ़ रहे हैं क्या आपको इस्तीफा देना पड़ेगा ?

शिवराज सिंह -- सब ऊपर वाले की मर्जी पर निर्भर करता है। हम तो उसके हाथ की कठपुतलियां हैं। वैसे मैं उनको हमेशा अपना बड़ा भाई कहता रहा हूँ। लेकिन हर मुख्यमंत्री वशुन्धरा राजे की तरह ताकतवर तो नही होता न। 

                 तभी जनता में से आवाज आई की ये शिवराज सिंह नकली है। ये असली शिवराज सिंह नही है। 

अदालत ने पूछा की क्या तुम असली शिवराज सिंह नही हो ?

लेकिन मेरे सारे जवाब असली हैं आपको आम खाने से मतलब होना चाहिए। 

अदालत ने इस बात की जाँच होने तक की ये शिवराज सिंह असली है या नकली कार्यवाही स्थगित कर दी। 

 

खबरी -- लगे हाथ ये भी सीबीआई को दे देते।

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.