Wednesday, July 15, 2015

Vyang -- नेताजी की घोटाला यात्रा, सरकार से सरकार तक

गप्पी -- हुआ यों की पुलिस ने एक कालाबाजारिये के यहां छापा मारा तो उसके यहां से जो कागज मिले उनमे नेताजी को दिए पैसों का जिक्र था। जिसमे नेताजी के हाथ की लिखी हुई एक चिट्ठी भी थी। नेताजी सरकार में वित्त मंत्री के पद पर थे सो हल्ला हो गया। चारों तरफ से इस्तीफा माँगा जाने लगा। जब दबाव बढ़ा तो सरकारी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा,

                    " नेताजी का किसी गलत काम से कोई लेना देना नही है।  उनका इसके साथ कोई लेनदेन नही है।"

         " लेकिन उसके घर से नेताजी के हाथ का लिखा पत्र मिला है, जिसमे पैसे भेजने के लिए कहा गया है। " एक पत्रकार ने पूछा।

             " पत्र मिला है ये बात सही है, लेकिन अभी ये साबित नही हुआ है की वो लिखाई नेताजी की ही है। "

           " लेकिन मंत्रीजी ने खुद माना है की चिट्ठी उन्होंने लिखी थी। "

            " हमे ये भी देखना चाहिए की क्या पैसों के लेनदेन की कोई रशीद भी मिली है क्या ? आदमी जरूरत में हजार लोगों से पैसे मांगता है इसका मतलब ये नही होता की पैसा लिया ही गया है। "

            " जिस आदमी के यहां से चिट्ठी पकड़ी गयी है वो कह रहा है की उसने मंत्रीजी को पैसे दिए हैं। " पत्रकार ने कहा।

             " तुम एक गुनहगार की बात का यकीन कर रहे हो। आखिर एक गुनहगार की बात की क्या वैल्यू है। " प्रवक्ता ने कहा।

               " महोदय, जब कहीं डकैती होती है और एक डकैत पकड़ा जाता है तो बाकि डकैतों को पकड़ने के लिए पुलिस उस डकैत से ही बाकि नाम पूछती है और बाकि लोगों को पकड़ती है। " पत्रकार ने कहा।

               लेकिन सरकार नही मानी। कई दिन संसद नही चली। ना काम हो रहा था ना बात खत्म हो रही थी। आखिर में मंत्रीजी ने ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया की ," ये मेरे खिलाफ विपक्ष की साजिश है और मैं नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे रहा हूँ और मुझे देश के कानून और अदालतों पर पूरा भरोसा है। "

                एक पत्रकार ने दूसरे से पूछा की ये अदालतों पर पूरा भरोसा होने की बात का क्या मतलब है, तो सीनियर पत्रकार ने उसे आहिस्ता से बताया की इसका मतलब है की अदालत उसके जीवनकाल में सुनवाई पूरी नही करेगी, उसे इसका भरोसा है।

                 दो-तीन साल जाँच चलती रही लेकिन पुलिस किसी निर्णय पर नही पंहुची। तब तक दूसरी पार्टी की सरकार आ गयी। सरकार ने लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए मामला सीबीआई को दे दिया। सीबीआई ने तुरंत छापेमारी की और बहुत से दस्तावेज बरामद होने का दावा किया। सीबीआई चार्जशीट दाखिल करने के नजदीक पहुंच गयी। तभी उस नेताजी का बयान आया की उसकी पार्टी में सब ठीक नही चल रहा है और उसके खिलाफ साजिश रची जा रही हैं। दूसरी सरकारी पार्टी ने पीछे से उससे अपनी पार्टी में शामिल होने की बात चलाई। बात आगे बढ़ी और चार्जशीट पीछे खिसक गयी। थोड़े दिन बाद नेताजी ने पार्टी बदल ली। अदालत में सीबीआई ने स्टेट्स रिपोर्ट जमा करवाई जिसमे नेताजी के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नही मिलने की बात कही। सरकारी पार्टी के अध्यक्ष ने सीबीआई के अधिकारी को बुलाकर कहा की इतनी जल्दबाजी करने की जरूरत नही है।

                        दलबदल किये नेताजी को जैसे ही सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट का पता चला उसने पार्टी से उपयुक्त पद की मांग की और वायदा पूरा ना करने का आरोप लगाया।

                अगले दिन सीबीआई ने प्रेस कांफ्रेंस में कुछ नए तथ्य सामने आने की बात कही।

           नेताजी ने कहा की मीडिया ने उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया है और उनका नई पार्टी के साथ कोई मतभेद नही है।

                सीबीआई का बयान आया की छापे के दौरान मिली चिट्ठी की लिखाई नेताजी की लिखाई से नही मिलती है और जाँच रिपोर्ट आ गयी है।

                 नेताजी ने फिर पार्टी को अपने वायदे की याद दिलाई और पद की मांग की।

          अगले दिन सीबीआई ने अदालत में कहा की चिट्ठी को जाँच के लिए दूसरी लैब में भेजा गया है ताकि कोई शक ना रहे।

                  अदालत ने कहा सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है। 

                  सीबीआई के एक बड़े अधिकारी ने ऑफ़ दा रिकॉर्ड बातचीत में कहा की अदालत ने तोता शब्द का प्रयोग गलत किया है। उसने दलील दी की क्या तोता किसी को काट सकता है ? हम तो सरकार एक बार ऊँगली से जिसकी तरफ इशारा कर देती है उसे उधेड़ कर रख देते हैं। इसलिए अदालत को किसी दूसरे जानवर का नाम लेना चाहिए था।

                  इस तरह पांच साल और निकल गए। ना चार्जशीट दाखिल हुई और ना पद मिला।

   मामला अभी अदालत में पेन्डिंग है और इलेक्शन के बाद चार्जशीट दाखिल होने की सम्भावना है। सीबीआई ने मामले की जाँच में तेजी लाने के लिए विशेष जांचदल गठित किया है।अगली जाँच इस बात पर निभर करेगी की कौनसी पार्टी सत्ता में आती है और नेताजी कौनसी पार्टी में रहते हैं। इसलिए इंतजार कीजिये। 

खबरी -- सरकार ने कहा है की भृष्टाचार को बर्दाश्त नही किया जायेगा।








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