गप्पी -- ताजा खबर आई है की उत्तरप्रदेश के एक IG रैंक के पुलिस अधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय में जाकर अपने लिए सुरक्षा की मांग की है। ये तो हद हो गयी। अगर पुलिस अधिकारी को खुद डर लग रहा है तो लोग किसके पास जाकर सुरक्षा की मांग करें। और ये अधिकारी कोई छोटे मोटे अधिकारी नही हैं।
इससे एक बात का पता चलता है की पुलिस किसी को सुरक्षा नही दे सकती। जब तक इन अधिकारी का झगड़ा वहां के एक बड़े राजनीतिज्ञ से नही हुआ था उस समय ये क्या कहते होंगे। जब कोई आम आदमी इनके पास सुरक्षा मांगने आता होगा तो ये कहते होंगे की लोकल पुलिस सक्षम है उसे सुरक्षा देने में। किसी किसी को किसी नेता की तरफ से धमकी मिलने का मामला भी आता होगा। तब ये उस आदमी से क्या कहते होंगे? मैं अनुमान नही लगा पा रहा हूँ। जैसे कानून अपना काम करेगा, या की तुम्हारे पास कोई पुख्ता सबूत है नेताजी के खिलाफ या की जाओ और रिपोर्ट दर्ज करवाओ। शायद इसी तरह का कोई जवाब देतें होंगे। लेकिन आज एक ही दिन में पूरे सूबे की उस पुलिस से उनका विश्वास उठ गया जिसके वो IG हैं। मैं उस आदमी के बारे में सोच रहा हूँ जो इस पुलिस के पास सुरक्षा मांगने जाता है क्या वो ठीक करता है या उसे भी केंद्र के पास जाना चाहिए।
मुझे नही मालूम की मामले की सच्चाई क्या है। उत्तरप्रदेश के राज्यपाल महोदय का बयान है की ये एक पॉलिटिकल मामला है। बहुत लोगों को ऐसा ही लगता है की ये पॉलिटिकल मामला है। शायद अधिकारी राजनीती में जाने की सोच रहे हों। या किसी ने उन्हें टिकट की ऑफर की हो। अगर ऐसा है तो भी कोई गुनाह नही है। अगर सचमुच में उन्हें और उनके परिवार को खतरा है तो ये थोड़ा गंभीर बात है। उन्हें ये भी बताना चाहिए की क्या पुलिस वाकई आम आदमी को सुरक्षा देने की स्थिति में है। उनके पूरे कैरियर में क्या कभी उन्हें महसूस हुआ की आम आदमी केवल भगवान भरोसे है। और अगर उन्हें केंद्र से सुरक्षा मिल भी जाती है तो भी प्रदेश के बाकि लोगों का क्या होगा। उन्हें सुरक्षा कौन देगा ?
इन अधिकारी महोदय को ये भी बताना चाहिए की कैसे पुलिस किसी नेता के एक फोन पर किसी शरीफ आदमी को थाने में नंगा करके पीट सकती है। और कैसे और किन नियमो के अनुसार हमारे देश की पुलिस काम करती है। मैं ये इसलिए कह रहा हूँ की जब उन्होंने ये खुलासा कर ही दिया है की पुलिस नेताओं के इशारे पर काम करती है तो बाकि चीजें भी साफ कर देनी चाहियें। आखिर उनका काफी लम्बा अनुभव रहा है।
एक और जो आरोप इन महोदय ने लगाया है वो ये है की उत्तरप्रदेश की पुलिस ने उनके खिलाफ बलात्कार का झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया है। ये भी एक खुलासा ही है की पुलिस झूठे केस दर्ज करती है। वैसे लोगों को तो इस बात का बहुत पहले से मालूम है परन्तु एक पुलिस अधिकारी का ये मानना मायने रखता है। उनके कार्यकाल के दौरान ऐसे कितने किस्से हुए होंगे उनका भी खुलासा उन्हें लगे हाथ कर देना चाहिए।
उन्हें इस मामले में लोगों की सहानुभूति जरूर मिलेगी। क्योंकि हमारे यहां रिवाज है की जब दो गाड़ियों की टककर होती है तो हमेशा बड़ी गाड़ी का दोष माना जाता है। और जब मामला किसी नेता का हो तब तो किसी छानबीन की जरूरत ही नही समझी जाती। हमारे देश के नेताओं ने इतने दिन में अपनी सेवाओं से यही तो प्राप्त किया है। उनकी छवि ही उनकी उपलब्धि है। और ये छवि उन्होंने खुद बनाई है इसके लिए वो किसी दूसरे को दोष नही दे सकते, ठीक उसी तरह जैसे पुलिस की छवि खुद पुलिस की बनाई हुई है।
इसलिए मैं ये चाहता हूँ की मामले का कोई ठोस हल निकले और सारे तथ्य और पुलिस और नेताओं की कार्यप्रणाली लोगों के सामने आये, जो की कभी नही होगा। आखिर आम आदमी को इतनी खास सुविधा कैसे दी जा सकती है। आम आदमी इस देश में हमेशा से असुरक्षित था और हमेशा रहेगा। उसे ना राज्य से सुरक्षा मिल सकती है और ना केंद्र से।
खबरी -- पुलिस राज को माफ़ करो, अपनी रक्षा आप करो।( आम आदमी के लिए )
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