FTII के 140 दिन से हड़ताल कर रहे छात्रों ने आज अपनी हड़ताल समाप्त कर दी और आंदोलन और विरोध जारी रखने का फैसला लिया। कुछ लोगों का ऐसा कहना की हड़ताल बिना किसी नतीजे के वापिस हो गयी ये सही नही है। असलियत तो ये है की इस हड़ताल ने इस सरकार के तानाशाह, नासमझ और अलोकतांत्रिक चरित्र को बेनकाब कर दिया। हम ये समझ सकते हैं की बीजेपी और संघ के पास गजेन्द्र चौहान से ज्यादा लायक लोग नही हैं, लेकिन ये जरूरी नही है की हर पद पर संघ के लोगों की ही नियुक्ति की जाये भले ही उनका स्तर जो भी हो। एक तानाशाह और निरकुंश सरकार, जिसको अपनी 56 " की छाती का बड़ा गरूर था और जो उसका प्रदर्शन सीमा पर नही कर पाई, उसने छात्रों के सामने इसका बखूबी प्रदर्शन किया। और ये सारा नजारा लोगों की नजरों में ही नही आता अगर FTII के छात्र इसका विरोध नही करते। इस सरकार ने झारखंड में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलवादियों को एक करोड़ रुपया देने की घोषणा की है और ये बता दिया है की लोकतान्त्रिक ढंग से चलने वाले आंदोलनों की वो परवाह नही करती और बंदूक के सामने खड़े होने की उसकी औकात नही है। ये उसके 56 " की छाती की हकीकत है। इस पुरे आंदोलन के लिए देश की जनता की तरह से उन्हें मुबारकबाद।
जैसे ही ये खबर आई, मंत्रिमंडल में बैठे अक्षम मंत्रियों ने इसका स्वागत किया। वो किस चीज का स्वागत कर रहे थे पता नही, परन्तु तभी ये खबर भी आ गयी की फिल्म उद्योग से जुड़े और FTII के छात्र रहे दस लोगों ने राष्ट्रिय पुरुस्कार लौटाने की घोषणा कर दी। ये सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। हालाँकि अभी सरकार के पास इनको वामपंथी बताने का विकल्प खुला हुआ है।
एक सामान्य नागरिक की तरफ से FTII के छात्रों को एकबार फिर मुबारकबाद।
जैसे ही ये खबर आई, मंत्रिमंडल में बैठे अक्षम मंत्रियों ने इसका स्वागत किया। वो किस चीज का स्वागत कर रहे थे पता नही, परन्तु तभी ये खबर भी आ गयी की फिल्म उद्योग से जुड़े और FTII के छात्र रहे दस लोगों ने राष्ट्रिय पुरुस्कार लौटाने की घोषणा कर दी। ये सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। हालाँकि अभी सरकार के पास इनको वामपंथी बताने का विकल्प खुला हुआ है।
एक सामान्य नागरिक की तरफ से FTII के छात्रों को एकबार फिर मुबारकबाद।
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