खबरी -- मोदी जी के आज बक्सर की रैली में भाषण के क्या मायने हैं ?
गप्पी -- बीजेपी और मोदी जी, दोनों को अब ये अधिकाधिक स्पष्ट होता जा रहा है की वो बिहार चुनाव हार रहे हैं। चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद बीजेपी के नेताओं ने जो भी मुद्दे उठाये उनसे उनका नुकशान ही ज्यादा हुआ। बाद में मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए भाषण ने पूरी बजी ही पलट दी और बीजेपी का एजेंडा खुल कर सामने आ गया। अब बक्सर की रैली में मोदी जी ने ये कह कर की नितीश और लालू प्रशाद दलितों और पिछड़ों का आरक्षण छीन कर मुसलमानो को देना चाहते हैं और वो यानि मोदी जी अपनी जान दे देंगे लेकिन उनका आरक्षण नही छीनने देंगे, संघ की पुरानी साम्प्रदायिक लाइन ले ली है। मोदी जी को मालूम है की मुसलमानो का तो कोई वोट उन्हें मिलने वाला नही है और दलितों और पिछड़ों के वोट में अगर वो सेंध नही लगा पाये तो वो चुनाव नही जीत सकते। इसलिए ये मोदी जी और आरएसएस का आखरी दांव है।
लेकिन अगर आरक्षण का मुद्दा मोदी जी और आरएसएस बहस में लेकर आते हैं तो उन्हें कुछ अप्रिय सवालों के जवाब भी देने पड़ेंगे। जैसे लालू जी पहले दिन से जातिगत जनगणना का मसला उठा रहे हैं। लालू जी का कहना है की जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किये जाएँ और दलितों और पिछड़ों को उनकी जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण दिया जाये। इस पर बीजेपी को अपना रुख साफ करना होगा। दूसरा आर्थिक आधार पर आरक्षण के मोहन भागवत के बयान पर भी उन्हें स्पष्ट जवाब देना होगा। जातिगत आरक्षण के युद्ध में मोदी जी लालू और नितीश को हरा पाएंगे अभी तो मुस्किल लगता है, बाकि वक्त बताएगा।
गप्पी -- बीजेपी और मोदी जी, दोनों को अब ये अधिकाधिक स्पष्ट होता जा रहा है की वो बिहार चुनाव हार रहे हैं। चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद बीजेपी के नेताओं ने जो भी मुद्दे उठाये उनसे उनका नुकशान ही ज्यादा हुआ। बाद में मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए भाषण ने पूरी बजी ही पलट दी और बीजेपी का एजेंडा खुल कर सामने आ गया। अब बक्सर की रैली में मोदी जी ने ये कह कर की नितीश और लालू प्रशाद दलितों और पिछड़ों का आरक्षण छीन कर मुसलमानो को देना चाहते हैं और वो यानि मोदी जी अपनी जान दे देंगे लेकिन उनका आरक्षण नही छीनने देंगे, संघ की पुरानी साम्प्रदायिक लाइन ले ली है। मोदी जी को मालूम है की मुसलमानो का तो कोई वोट उन्हें मिलने वाला नही है और दलितों और पिछड़ों के वोट में अगर वो सेंध नही लगा पाये तो वो चुनाव नही जीत सकते। इसलिए ये मोदी जी और आरएसएस का आखरी दांव है।
लेकिन अगर आरक्षण का मुद्दा मोदी जी और आरएसएस बहस में लेकर आते हैं तो उन्हें कुछ अप्रिय सवालों के जवाब भी देने पड़ेंगे। जैसे लालू जी पहले दिन से जातिगत जनगणना का मसला उठा रहे हैं। लालू जी का कहना है की जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किये जाएँ और दलितों और पिछड़ों को उनकी जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण दिया जाये। इस पर बीजेपी को अपना रुख साफ करना होगा। दूसरा आर्थिक आधार पर आरक्षण के मोहन भागवत के बयान पर भी उन्हें स्पष्ट जवाब देना होगा। जातिगत आरक्षण के युद्ध में मोदी जी लालू और नितीश को हरा पाएंगे अभी तो मुस्किल लगता है, बाकि वक्त बताएगा।
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