हमने देश के विकास के नए तरीके निकाले हैं। हम पहले पुरे देश में आग लगाएंगे, बस्तियां जलाएंगे , लोगों को मारेंगे, उनके बीच नफरत की दिवार खड़ी करेंगे और फिर पुरे देश का विकास करेंगे। जब लोग आपस में एक दूसरे से नफरत करेंगे और आपस में बात भी नही करेंगे तब भूमि अधिग्रहण जैसे कानूनो का विकास होगा क्योंकि लोग इकट्ठे नही हो सकते। फिर चाहे हम जमीन अडानी को दें या अम्बानी को कोई सवाल नही करेगा। क्योंकि आधे लोगों को डरा दिया जायेगा और बहुत से लोगों के बच्चे जेल में होंगे और वो उन्हें बाहर निकलवाने के लिए रोज हमारे यहां चककर लगाएंगे। उनकी हिम्मत हम पर सवाल उठाने की रह ही नही जाएगी।
जब चुनाव शुरू होता है तो लोग रोजगार की बात करते हैं, बिजली और पानी की बात करते हैं। स्कूलों की कमी की बात करते हैं। धीरे धीरे हम उन्हें गाय की बात पर ले आते हैं। दलितों को बता देते हैं की भूख कोई बड़ा मुद्दा नही है, मुद्दा है की अगर यादव सत्ता में आ गए तो उनका क्या होगा। यादवों को बता देते हैं की ये रोजगार वगैरा तो चलता रहता है, ये देखो की गाय की इज्जत कौन कौन नही करता है। ( हमारे अलावा )
महादलितों को कहते हैं की एक बार जितनराम मांझी के बेइज्जती का बदला ले लो, बाद में मनरेगा के लिए हमारे पास आना, हम सोचेंगे।
हमने नोजवानो को कह दिया है की हमने लोकसभा चुनाव में क्या-क्या वायदे किये थे ये भूल जाओ और देखो को प्रधानमंत्री की जुकेरबर्ग के साथ फोटो कितनी अच्छी आई है। तुम केवल ये देखो की हम कितनी बेशर्मी से पलटी मार सकते हैं। जब हमने केन्द्रीय विद्यालयों से जर्मन भाषा हटाकर संस्कृत लागु की थी तब हमने संस्कृत और संस्कृति पर कितने अच्छे भाषण दिए थे। शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी को तो ये भाषण रात रात भर जागकर रटवाए गए थे। लेकिन अब जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के कहने पर हमने दुबारा जर्मन भाषा लागु कर दी तो जर्मन भाषा के योगदान पर हमारे भाषण पढ़ो, कितने अच्छे दिए हैं।
आप हमारे मंत्रियों का चुनाव और कामकाज देख सकते हो। हमने बिना पढ़ी-लिखी स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री बना दिया, महेश शर्मा को संस्कृति मंत्री बना दिया भले ही उन्हें संस्कृति की परिभाषा भी मालूम न हो, गृह मंत्री राजनाथ सिंह अपने गृह दिल्ली को ही देख रहे हैं, जब भी LG कमजोर पड़ते दीखते हैं वो तुरंत स्टेज पर आ जाते हैं। अभी अभी उन्होंने सभी राज्यों को अडवाइजरी जारी की है, भले ही लोगों का ये कहना हो की अडवाइजरी की जरूरत तो केवल संघ मुख्यालय को ही थी।
लोग कहते हैं की प्रधानमंत्री नही बोल रहे। लेकिन हम पूछते हैं की प्रधानमंत्री ने अब तक बोलने अलावा और क्या किया है। जहां तक दादरी की घटना का सवाल है तो उसका आकलन चुनावो के बाद होगा की उससे हमे बिहार में कितना फायदा हुआ है। उस आकलन के बाद प्रधानमंत्री निर्णय करेंगे की उस पर क्या कहना है। हम पुरे देश को आग में झोँक रहे हैं लेकिन आपको ये विश्वास दिलाते हैं की आपका घर नही जलेगा। इस देश जलाने की कार्यवाही में जो नौजवान शामिल हो रहे हैं और जेल जा रहे हैं उन्हें हम शहीद का दर्जा देंगे और अपने बच्चों को चुनाव में टिकट देंगे।
इसलिए हमारी बिहार की जनता से अपील है की वो इस कार्यवाही में हमारा साथ दे। ये भूख बेकारी के बेकार सवाल भूल जाये और देश जलाने में योगदान करे। वैसे आपको एक बात बता देते हैं की चुनाव में हमारा एजेंडा विकास ही है।
जब चुनाव शुरू होता है तो लोग रोजगार की बात करते हैं, बिजली और पानी की बात करते हैं। स्कूलों की कमी की बात करते हैं। धीरे धीरे हम उन्हें गाय की बात पर ले आते हैं। दलितों को बता देते हैं की भूख कोई बड़ा मुद्दा नही है, मुद्दा है की अगर यादव सत्ता में आ गए तो उनका क्या होगा। यादवों को बता देते हैं की ये रोजगार वगैरा तो चलता रहता है, ये देखो की गाय की इज्जत कौन कौन नही करता है। ( हमारे अलावा )
महादलितों को कहते हैं की एक बार जितनराम मांझी के बेइज्जती का बदला ले लो, बाद में मनरेगा के लिए हमारे पास आना, हम सोचेंगे।
हमने नोजवानो को कह दिया है की हमने लोकसभा चुनाव में क्या-क्या वायदे किये थे ये भूल जाओ और देखो को प्रधानमंत्री की जुकेरबर्ग के साथ फोटो कितनी अच्छी आई है। तुम केवल ये देखो की हम कितनी बेशर्मी से पलटी मार सकते हैं। जब हमने केन्द्रीय विद्यालयों से जर्मन भाषा हटाकर संस्कृत लागु की थी तब हमने संस्कृत और संस्कृति पर कितने अच्छे भाषण दिए थे। शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी को तो ये भाषण रात रात भर जागकर रटवाए गए थे। लेकिन अब जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के कहने पर हमने दुबारा जर्मन भाषा लागु कर दी तो जर्मन भाषा के योगदान पर हमारे भाषण पढ़ो, कितने अच्छे दिए हैं।
आप हमारे मंत्रियों का चुनाव और कामकाज देख सकते हो। हमने बिना पढ़ी-लिखी स्मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री बना दिया, महेश शर्मा को संस्कृति मंत्री बना दिया भले ही उन्हें संस्कृति की परिभाषा भी मालूम न हो, गृह मंत्री राजनाथ सिंह अपने गृह दिल्ली को ही देख रहे हैं, जब भी LG कमजोर पड़ते दीखते हैं वो तुरंत स्टेज पर आ जाते हैं। अभी अभी उन्होंने सभी राज्यों को अडवाइजरी जारी की है, भले ही लोगों का ये कहना हो की अडवाइजरी की जरूरत तो केवल संघ मुख्यालय को ही थी।
लोग कहते हैं की प्रधानमंत्री नही बोल रहे। लेकिन हम पूछते हैं की प्रधानमंत्री ने अब तक बोलने अलावा और क्या किया है। जहां तक दादरी की घटना का सवाल है तो उसका आकलन चुनावो के बाद होगा की उससे हमे बिहार में कितना फायदा हुआ है। उस आकलन के बाद प्रधानमंत्री निर्णय करेंगे की उस पर क्या कहना है। हम पुरे देश को आग में झोँक रहे हैं लेकिन आपको ये विश्वास दिलाते हैं की आपका घर नही जलेगा। इस देश जलाने की कार्यवाही में जो नौजवान शामिल हो रहे हैं और जेल जा रहे हैं उन्हें हम शहीद का दर्जा देंगे और अपने बच्चों को चुनाव में टिकट देंगे।
इसलिए हमारी बिहार की जनता से अपील है की वो इस कार्यवाही में हमारा साथ दे। ये भूख बेकारी के बेकार सवाल भूल जाये और देश जलाने में योगदान करे। वैसे आपको एक बात बता देते हैं की चुनाव में हमारा एजेंडा विकास ही है।
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