खबरी -- अब अल्पसंख्यक आयोग की टिप्पणी भी सरकार के अनुकूल नही है।
गुप्पी -- 2002 के गुजरात दंगों के बाद हर उस संस्था को चाहे वो मानवाधिकार आयोग हो, अल्पसंख्यक ,विपक्ष के नेता हों, यहां तक की उच्चत्तम न्यायालय को भी हिन्दू विरोधी घोषित कर दिया गया था। उस समय गुजरात के स्थानीय अख़बारों में इस आशय के पुरे पुरे पेज के विज्ञापन आते थे। सबको चुप रहने का फरमान सुना दिया गया था। बीजेपी और संघ का हर नेता एक ही बात बोलता था की ये गुजरात को बदनाम करने की साजिश है। अब एक बार फिर व्ही किया जा रहा है। विरोध करने वाले लेखकों को लेकर पाकिस्तानी तक कहा जा रहा है। हर उस आदमी को, सरकार के कामकाज पर सवाल उठाता है देशद्रोही घोषित किया जा रहा है। देश भक्ति का ठेका केवल संघ परिवार के पास है।
गुप्पी -- 2002 के गुजरात दंगों के बाद हर उस संस्था को चाहे वो मानवाधिकार आयोग हो, अल्पसंख्यक ,विपक्ष के नेता हों, यहां तक की उच्चत्तम न्यायालय को भी हिन्दू विरोधी घोषित कर दिया गया था। उस समय गुजरात के स्थानीय अख़बारों में इस आशय के पुरे पुरे पेज के विज्ञापन आते थे। सबको चुप रहने का फरमान सुना दिया गया था। बीजेपी और संघ का हर नेता एक ही बात बोलता था की ये गुजरात को बदनाम करने की साजिश है। अब एक बार फिर व्ही किया जा रहा है। विरोध करने वाले लेखकों को लेकर पाकिस्तानी तक कहा जा रहा है। हर उस आदमी को, सरकार के कामकाज पर सवाल उठाता है देशद्रोही घोषित किया जा रहा है। देश भक्ति का ठेका केवल संघ परिवार के पास है।
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