NJAC पर माननीय उच्चत्तम न्यायालय का फैसला आने के बाद सरकार के कुछ मंत्रियों और दूसरे लोगों की नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आई हैं। इसमें अरुण जेटली ने चुने हुए लोगों के फैसले को गैर चुने हुए लोगों द्वारा बदले जाने और फैसले को कुतर्क पर आधारित बताया था। जिस पर बहुत से लोगों ने अरुण जेटली से नाराजगी भी जताई थी। किसी भी कानून के निर्माण को न्यायायिक छानबीन के तहत माना गया है और संविधान में इसका प्रावधान है। पहले भी बहुत से कानूनो को न्यायालयों ने रद्द किया है। जब कोई कानून बनता है तो ये तो स्वयं सिद्ध है की वो बहुमत का प्रतिनिधित्त्व करता है, फिर ये बहुमत कितना है या फिर सर्वसम्मत है इससे न्यायालय द्वारा छानबीन के संविधान प्रदत्त अधिकार पर क्या फर्क पड़ता है। न्यायालय जब किसी कानून की छानबीन करता है तो इस आधार पर करता है की वो कानून संविधान के बेसिक ढांचे या अधिकारों का उललंघन तो नही करता। उसमे इस बात का कोई लेना देना नही होता की उसको कितने बहुमत ने पास किया है। अरुण जेटली पहले भी " चुने हुए लोगों " का सवाल राज्य सभा के संदर्भ में उठा चुके हैं। और ये भी एक विडंबना है की खुद अरुण जेटली चुनाव हारे हुए हैं और राज कर रहे हैं। उन्हें शपथ लेते वक्त इस बात का बिलकुल ख्याल नही आया की लोकसभा चुनाव में लोगों ने उन्हें रिजेक्ट किया है।
इस सवाल पर THE HINDU में उच्चत्तम न्यायालय के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा ने एक लेख में इन सब सवालों के जवाब हैं। इसे इस लिंक से देखा जा सकता है --http://www.thehindu.com/opinion/lead/njac-constitutions-will-upheld/article7781047.ece?homepage=true
इस सवाल पर THE HINDU में उच्चत्तम न्यायालय के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा ने एक लेख में इन सब सवालों के जवाब हैं। इसे इस लिंक से देखा जा सकता है --http://www.thehindu.com/opinion/lead/njac-constitutions-will-upheld/article7781047.ece?homepage=true
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