बीजेपी राष्ट्रिय कार्यकारिणी की मीटिंग के बाद अरुण जेटली ने और कार्यकारिणी के अंदर प्रधानमंत्री ने कहा, और उनके कहने के बाद वेंकैया नायडू ने जो कहा, उसके बाद हालाँकि किसी और के कहने के लिए कुछ ज्यादा बचता नही है लेकिन फिर भी मैंने सोचा की मैं भी कुछ कह दूँ।
अरुण जेटली ने कहा की पहले की सरकारें दिशाहीन थी और ये सरकार सही दिशा में है। इसके दो मतलब होते हैं। एक तो ये की ये सरकार एक ही दिशा में है। पहले की सरकारें इसलिए दिशाहीन थी क्योंकि वो कुछ थोड़ा सा काम किसानो के लिए करती थी, थोड़ा सा मजदूरों के लिए करती थी, थोड़ा सा कर्मचारियों के लिए करती थी और बहुत सा उद्योगपतियों के लिए करती थी। इससे दिशा भरम की स्थिति उतपन्न होती थी। अब जो सरकार है वो केवल एक ही दिशा में काम करती है। बाकि लोगों की तरफ उसने देखना बंद कर दिया है ताकि दिशा भरम ना हो।
अंदर प्रधानमंत्री ने कहा की हम सकारात्मक हैं। मुझे लगता है श्री श्री के जलसे का असर अब तक बाकि है। विपक्ष देश को पीछे खिंच रहा है। सरकार विपक्ष के सुझाओं पर अम्ल करने को तैयार है। और उसका उदाहरण ये है की आधार बिल पर पुरे दिन राज्य सभा ने विचार करके जो चार संशोधन सुझाये थे उन्हें सरकार ने लोकसभा में पांच ही मिनट में ख़ारिज कर दिया। इससे ज्यादा सकारात्मक सरकार का उदाहरण और क्या हो सकता है। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा की सरकार अपने रास्ते पर चलती रहेगी। किसी की नही सुनेगी। जो लोग सरकार के कहे पर भिन्न मत रखते हैं वो देशद्रोही हैं। जो सरकार से समझ में अलगाव रखते हैं वो अलगाववादी हैं।
उसके बाद बीजेपी ने और प्रधानमंत्री ने चुनाव के लिए एक नया मंत्र दिया। उसने कहा की अब विकास के नाम पर वोट मांगने का जमाना गया। क्योंकि ऐसी चीजों पर वोट मिलने की उम्मीद अब नही है। इसलिए अब भारत माता के नाम पर वोट मांगिये। ठीक उसी तरह जैसे अल्लाह के नाम पर लोग कुछ भी मांग लेते हैं। या भगवान के नाम पर मांग लेते हैं। अब इस बात की प्रैक्टिस करो, भारत माता के नाम पर देदे , भारत माता के नाम पर दे दे। और इसके लिए जो सबसे सही जगहें हैं जैसे मंदिरों के बाहर, बाबाओं के प्रोग्रामो के बाहर, सतसंगों के कार्यक्रमों के बाहर। वहां अपनी चटाई बिछा लीजिये और भारत माता के नाम पर मांगिये। इसके लिए ये जरूरी है की इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहियें। अगर नही होते हैं तो सरकार से अनुदान दे कर करवाइये। किसी भी नाम पर करवाइये लेकिन करवाइये जरूर ताकि अपनी कुछ चटाइयां उसके बाहर बिछाई जा सकें।
उसके बाद माननीय वेंकैया नायडू जी आये। उन्होंने कहा की मोदीजी देश को भगवान का तोहफा है। राजनीती में चाटुकारिता और बेशर्मी का नया अध्याय शुरू हो चूका है। अब व्यक्ति पूजा को लोकतंत्र का नया आयाम साबित किया जायेगा। पहले भी बरुआ ने कोशिश की थी इंदिरा जी के नाम पर। अब उसका नया संस्करण लाये हैं श्रीमान नायडू जी। वैसे ये भी हो सकता है की भारत माता के नाम पर वोट मांगने वालों को चटाइयों पर सिंदूर लगा कर रखने के लिए कोई मूर्ती चाहिए होगी। इसलिए उस मूर्ती की तैयारी हो रही है। भक्तो एक नया नजारा पेश होने वाला है। लोग मंदिरों के बाहर एक फोटो पर सिंदूर लगा कर आवाज लगाएंगे की भारत माता के नाम पर दे दे बाबा।
अरुण जेटली ने कहा की पहले की सरकारें दिशाहीन थी और ये सरकार सही दिशा में है। इसके दो मतलब होते हैं। एक तो ये की ये सरकार एक ही दिशा में है। पहले की सरकारें इसलिए दिशाहीन थी क्योंकि वो कुछ थोड़ा सा काम किसानो के लिए करती थी, थोड़ा सा मजदूरों के लिए करती थी, थोड़ा सा कर्मचारियों के लिए करती थी और बहुत सा उद्योगपतियों के लिए करती थी। इससे दिशा भरम की स्थिति उतपन्न होती थी। अब जो सरकार है वो केवल एक ही दिशा में काम करती है। बाकि लोगों की तरफ उसने देखना बंद कर दिया है ताकि दिशा भरम ना हो।
अंदर प्रधानमंत्री ने कहा की हम सकारात्मक हैं। मुझे लगता है श्री श्री के जलसे का असर अब तक बाकि है। विपक्ष देश को पीछे खिंच रहा है। सरकार विपक्ष के सुझाओं पर अम्ल करने को तैयार है। और उसका उदाहरण ये है की आधार बिल पर पुरे दिन राज्य सभा ने विचार करके जो चार संशोधन सुझाये थे उन्हें सरकार ने लोकसभा में पांच ही मिनट में ख़ारिज कर दिया। इससे ज्यादा सकारात्मक सरकार का उदाहरण और क्या हो सकता है। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा की सरकार अपने रास्ते पर चलती रहेगी। किसी की नही सुनेगी। जो लोग सरकार के कहे पर भिन्न मत रखते हैं वो देशद्रोही हैं। जो सरकार से समझ में अलगाव रखते हैं वो अलगाववादी हैं।
उसके बाद बीजेपी ने और प्रधानमंत्री ने चुनाव के लिए एक नया मंत्र दिया। उसने कहा की अब विकास के नाम पर वोट मांगने का जमाना गया। क्योंकि ऐसी चीजों पर वोट मिलने की उम्मीद अब नही है। इसलिए अब भारत माता के नाम पर वोट मांगिये। ठीक उसी तरह जैसे अल्लाह के नाम पर लोग कुछ भी मांग लेते हैं। या भगवान के नाम पर मांग लेते हैं। अब इस बात की प्रैक्टिस करो, भारत माता के नाम पर देदे , भारत माता के नाम पर दे दे। और इसके लिए जो सबसे सही जगहें हैं जैसे मंदिरों के बाहर, बाबाओं के प्रोग्रामो के बाहर, सतसंगों के कार्यक्रमों के बाहर। वहां अपनी चटाई बिछा लीजिये और भारत माता के नाम पर मांगिये। इसके लिए ये जरूरी है की इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहियें। अगर नही होते हैं तो सरकार से अनुदान दे कर करवाइये। किसी भी नाम पर करवाइये लेकिन करवाइये जरूर ताकि अपनी कुछ चटाइयां उसके बाहर बिछाई जा सकें।
उसके बाद माननीय वेंकैया नायडू जी आये। उन्होंने कहा की मोदीजी देश को भगवान का तोहफा है। राजनीती में चाटुकारिता और बेशर्मी का नया अध्याय शुरू हो चूका है। अब व्यक्ति पूजा को लोकतंत्र का नया आयाम साबित किया जायेगा। पहले भी बरुआ ने कोशिश की थी इंदिरा जी के नाम पर। अब उसका नया संस्करण लाये हैं श्रीमान नायडू जी। वैसे ये भी हो सकता है की भारत माता के नाम पर वोट मांगने वालों को चटाइयों पर सिंदूर लगा कर रखने के लिए कोई मूर्ती चाहिए होगी। इसलिए उस मूर्ती की तैयारी हो रही है। भक्तो एक नया नजारा पेश होने वाला है। लोग मंदिरों के बाहर एक फोटो पर सिंदूर लगा कर आवाज लगाएंगे की भारत माता के नाम पर दे दे बाबा।
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