स्वाति गुप्ता ,
आपका साथी कन्हैया के नाम लिखा खुला पत्र पढ़ा। पढ़कर तसल्ली हुई की आप अभी भी उसी जगह खड़ी हैं जहां खड़े होने की आपसे उम्मीद थी। खैर मैं आपके सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करूंगा।
१. कन्हैया का भाषण राजनैतिक इसलिए था क्योंकि वो राजनैतिक सवालों के जवाब दे रहा था। जहां तक पढ़ाई छोड़कर राजनीती करने की बात है तो ये परम्परा बुर्जुआ पार्टियों में ज्यादा होती है जहां या तो राजनीती पारिवारिक पेशा होता है या धन कमाने का साधन। वामपंथी पार्टियों के सारे नेता इसी तरह बहुत पढ़े लिखे होते हैं। जहां तक टैक्स पेयर के पैसे का सवाल है तो ये आप उनसे पूछिये जो बैंको का पांच लाख करोड़ रुपया खा गए। जितने पैसे में JNU जैसे संस्थान चलते हैं हम उससे ज्यादा टैक्स देते हैं। एक बार बैठ कर हिसाब कर लीजिये तो पता चल जायेगा की जो ये सब रंगीनियाँ दिखाई देती हैं वो सब लूट का मॉल है। सो टैक्स पेयर की बात तो करो ही मत।
२. जहां तक गरीबी और भुखमरी की बात है वो ना तो 18 महीने की समस्या है और ना ही साठ साल की है। जब आपके काले अंग्रेजों से पहले गोरे अंग्रेज यहां थे तब भी ये समस्या थी और हमने उनसे भी सवाल पूछ रहे थे.हमने संघ की तरह उनके तलवे नही चाटे।
३. वामपंथ के फेल होने की बात भूल जाइये। आज भी जहां लोग अत्याचारों का विरोध कर रहे हैं वो वामपंथी ही हैं। पूरा लैटिन अमेरिका और अफ्रीका से लेकर एशिया तक चाहे चीन हो या वियतनाम ये वामपंथी ही थे जो पहले भी लड़े थे और अब भी लड़ रहे हैं।
४. सरकार के खिलाफ बोलना जहर उगलना नही होता। जहर उगलना उसे कहते हैं जो योगी आदित्यनाथ, साध्वी प्राची और संगीत सोम उगलते हैं।
५. आप को तो DSU और नक्सलियों में भी फर्क मालूम नही है। भारत की मुख्यधारा की वामपंथी पार्टिया नक्सलियों का विरोध करती रही हैं और उनके सैंकड़ों नेता उनके हाथों मारे जा चुके हैं। क्या आप बताएंगी की छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे इलाकों में आदिवासी आपका विरोध क्यों कर रहे हैं। वहां तो वामपंथी सरकार भी नही है। आप लोग आदिवासियों की जमीन छीन कर उद्योगपतियों को देना चाहते हैं। कोई आपका फ्लैट छीनने की कोशिश करे तब आपको चलेगा की हक की लड़ाई किसे कहते हैं। जिन्होंने सोनी सॉरी पर तेजाब फेंका वो तो आपके अनुसार बड़े राष्ट्रवादी और देशभक्त होंगे।
६. अब तो ये साबित हो चूका है की ये सारे वीडियो फर्जी थे। जो लोग मुंह ढंककर ये नारे लगा रहे थे उनमे से आपने कितनो को पकड़ लिया। हो सकता है की ये लोग भी फर्जी वीडियो की तरह ही ABVP द्वारा बुलाये गए हों। एक बार उनको पकड़िए और सच्चाई सामने आने दीजिये। हालाँकि आपकी सरकार उनको कभी नही पकड़ेगी ताकि सच्चाई छुपी रहे। ऐसा मत कहना की मैं झूठा आरोप लगा रहा हूँ। कई बार संघ के लोग मंदिर में मांस फेकते और कर्नाटक में पाकिस्तानी झंडे लहराते पकड़े गए हैं। फिर भी एक बार उनको पकड़िए तो सही। हालाँकि आपकी सरकार तो अभी तक ये भी नही बता पाई की पठानकोट में हमला करने वाले चार लोग थे या छः लोग थे।
७. जहां तक फौजियों की बात है वो भी हमारे घरों से ही निकले हैं। जब एक फौजी के घर से चिट्ठी आती है की उसके बाप ने फसल खराब होने के कारण आत्महत्या कर ली है और उसका भाई अभी भी घर पर बैठा है क्योंकि उसे नौकरी नही मिली है तो उस सैनिक पर क्या गुजरती है ये आपको तो नही मालूम होगा पर मुझे मालूम है। यही सैनिक थे जो छह महीने जंतर मंत्र पर OROP के लिए बैठे रहे और अपने मैडल लौटा रहे थे तब आपने नही पूछा की उन पर क्या गुजरती है। शहीद जवान सौरभ कालिया का बाप जब ये कहता है की वो हिमाचल के क्रिकेट ग्राउंड में पाकिस्तानी झंडा फहराता हुआ नही देख सकता तो पूरी बीजेपी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले नुकशान पर चिल्लाती है। यही बात बीजेपी कहती या आपका कोई सहयोगी कहता तो आपके सुर दूसरे होते। आप एक मैच मुंबई में भी करवा के दिखा दो शिवसेना के विरोध के बावजूद। आपकी सारी देशभक्ति सड़क पर आ जाएगी। आप अफजल की बात करती हैं लेकिन ये बात नही करती की 26 /11 के गुनहगार हेडली को आपने माफ़ कर दिया। क्या मुंबई हमले में मरने वाले सैनिक और पुलिस के जवान प्लास्टिक के थे।
८. वो भी सर्वोच्च अदालत का ही फैसला था जिसकी धज्जियां आपके विधायक और लम्पट वकील पटियाला हॉउस कोर्ट में उड़ा रहे थे। आप कब से सर्वोच्च अदालत के सम्मान की बात करने लगे। आपके तो मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बाबरी मस्जिद तुड़वा दी थी जिसके बाद उन्हें झूठ बोलने के अपराध में एक दिन की सजा भी हुई थी। ये आप ही हैं जो राम जन्म भूमि - बाबरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार करते हैं। थोड़ी जानकारी ले लीजिये तो झूठ बोलने में आसानी रहेगी।
९. उच्च न्यायालय के जिस जजमेंट की आप बात कर रही हैं उस पर देश के प्रमुख न्यायविदों के विचार तो आपने सुन ही लिए होंगे। हो सकता है की ये जजमेंट भी सुप्रीम कोर्ट में ललकारा जाये। नॅशनल हैरल्ड की तरह ही सुप्रीम कोर्ट इन टिप्पणियों को ख़ारिज कर दे तब आप क्या जवाब देंगी। वैसे पहले नेशनल हैरल्ड वाले जजमेंट का जवाब दे दीजिये जिसको आधार बना कर बीजेपी के प्रवक्ता टीवी चैनलों में तूफान उठाये हुए थे और बाद में मुंह छुपाते पाये गए।
खैर मैं समझता हूँ की भक्त आखिर भक्त ही होता है।
आपका साथी कन्हैया के नाम लिखा खुला पत्र पढ़ा। पढ़कर तसल्ली हुई की आप अभी भी उसी जगह खड़ी हैं जहां खड़े होने की आपसे उम्मीद थी। खैर मैं आपके सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश करूंगा।
१. कन्हैया का भाषण राजनैतिक इसलिए था क्योंकि वो राजनैतिक सवालों के जवाब दे रहा था। जहां तक पढ़ाई छोड़कर राजनीती करने की बात है तो ये परम्परा बुर्जुआ पार्टियों में ज्यादा होती है जहां या तो राजनीती पारिवारिक पेशा होता है या धन कमाने का साधन। वामपंथी पार्टियों के सारे नेता इसी तरह बहुत पढ़े लिखे होते हैं। जहां तक टैक्स पेयर के पैसे का सवाल है तो ये आप उनसे पूछिये जो बैंको का पांच लाख करोड़ रुपया खा गए। जितने पैसे में JNU जैसे संस्थान चलते हैं हम उससे ज्यादा टैक्स देते हैं। एक बार बैठ कर हिसाब कर लीजिये तो पता चल जायेगा की जो ये सब रंगीनियाँ दिखाई देती हैं वो सब लूट का मॉल है। सो टैक्स पेयर की बात तो करो ही मत।
२. जहां तक गरीबी और भुखमरी की बात है वो ना तो 18 महीने की समस्या है और ना ही साठ साल की है। जब आपके काले अंग्रेजों से पहले गोरे अंग्रेज यहां थे तब भी ये समस्या थी और हमने उनसे भी सवाल पूछ रहे थे.हमने संघ की तरह उनके तलवे नही चाटे।
३. वामपंथ के फेल होने की बात भूल जाइये। आज भी जहां लोग अत्याचारों का विरोध कर रहे हैं वो वामपंथी ही हैं। पूरा लैटिन अमेरिका और अफ्रीका से लेकर एशिया तक चाहे चीन हो या वियतनाम ये वामपंथी ही थे जो पहले भी लड़े थे और अब भी लड़ रहे हैं।
४. सरकार के खिलाफ बोलना जहर उगलना नही होता। जहर उगलना उसे कहते हैं जो योगी आदित्यनाथ, साध्वी प्राची और संगीत सोम उगलते हैं।
५. आप को तो DSU और नक्सलियों में भी फर्क मालूम नही है। भारत की मुख्यधारा की वामपंथी पार्टिया नक्सलियों का विरोध करती रही हैं और उनके सैंकड़ों नेता उनके हाथों मारे जा चुके हैं। क्या आप बताएंगी की छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे इलाकों में आदिवासी आपका विरोध क्यों कर रहे हैं। वहां तो वामपंथी सरकार भी नही है। आप लोग आदिवासियों की जमीन छीन कर उद्योगपतियों को देना चाहते हैं। कोई आपका फ्लैट छीनने की कोशिश करे तब आपको चलेगा की हक की लड़ाई किसे कहते हैं। जिन्होंने सोनी सॉरी पर तेजाब फेंका वो तो आपके अनुसार बड़े राष्ट्रवादी और देशभक्त होंगे।
६. अब तो ये साबित हो चूका है की ये सारे वीडियो फर्जी थे। जो लोग मुंह ढंककर ये नारे लगा रहे थे उनमे से आपने कितनो को पकड़ लिया। हो सकता है की ये लोग भी फर्जी वीडियो की तरह ही ABVP द्वारा बुलाये गए हों। एक बार उनको पकड़िए और सच्चाई सामने आने दीजिये। हालाँकि आपकी सरकार उनको कभी नही पकड़ेगी ताकि सच्चाई छुपी रहे। ऐसा मत कहना की मैं झूठा आरोप लगा रहा हूँ। कई बार संघ के लोग मंदिर में मांस फेकते और कर्नाटक में पाकिस्तानी झंडे लहराते पकड़े गए हैं। फिर भी एक बार उनको पकड़िए तो सही। हालाँकि आपकी सरकार तो अभी तक ये भी नही बता पाई की पठानकोट में हमला करने वाले चार लोग थे या छः लोग थे।
७. जहां तक फौजियों की बात है वो भी हमारे घरों से ही निकले हैं। जब एक फौजी के घर से चिट्ठी आती है की उसके बाप ने फसल खराब होने के कारण आत्महत्या कर ली है और उसका भाई अभी भी घर पर बैठा है क्योंकि उसे नौकरी नही मिली है तो उस सैनिक पर क्या गुजरती है ये आपको तो नही मालूम होगा पर मुझे मालूम है। यही सैनिक थे जो छह महीने जंतर मंत्र पर OROP के लिए बैठे रहे और अपने मैडल लौटा रहे थे तब आपने नही पूछा की उन पर क्या गुजरती है। शहीद जवान सौरभ कालिया का बाप जब ये कहता है की वो हिमाचल के क्रिकेट ग्राउंड में पाकिस्तानी झंडा फहराता हुआ नही देख सकता तो पूरी बीजेपी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले नुकशान पर चिल्लाती है। यही बात बीजेपी कहती या आपका कोई सहयोगी कहता तो आपके सुर दूसरे होते। आप एक मैच मुंबई में भी करवा के दिखा दो शिवसेना के विरोध के बावजूद। आपकी सारी देशभक्ति सड़क पर आ जाएगी। आप अफजल की बात करती हैं लेकिन ये बात नही करती की 26 /11 के गुनहगार हेडली को आपने माफ़ कर दिया। क्या मुंबई हमले में मरने वाले सैनिक और पुलिस के जवान प्लास्टिक के थे।
८. वो भी सर्वोच्च अदालत का ही फैसला था जिसकी धज्जियां आपके विधायक और लम्पट वकील पटियाला हॉउस कोर्ट में उड़ा रहे थे। आप कब से सर्वोच्च अदालत के सम्मान की बात करने लगे। आपके तो मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर बाबरी मस्जिद तुड़वा दी थी जिसके बाद उन्हें झूठ बोलने के अपराध में एक दिन की सजा भी हुई थी। ये आप ही हैं जो राम जन्म भूमि - बाबरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार करते हैं। थोड़ी जानकारी ले लीजिये तो झूठ बोलने में आसानी रहेगी।
९. उच्च न्यायालय के जिस जजमेंट की आप बात कर रही हैं उस पर देश के प्रमुख न्यायविदों के विचार तो आपने सुन ही लिए होंगे। हो सकता है की ये जजमेंट भी सुप्रीम कोर्ट में ललकारा जाये। नॅशनल हैरल्ड की तरह ही सुप्रीम कोर्ट इन टिप्पणियों को ख़ारिज कर दे तब आप क्या जवाब देंगी। वैसे पहले नेशनल हैरल्ड वाले जजमेंट का जवाब दे दीजिये जिसको आधार बना कर बीजेपी के प्रवक्ता टीवी चैनलों में तूफान उठाये हुए थे और बाद में मुंह छुपाते पाये गए।
खैर मैं समझता हूँ की भक्त आखिर भक्त ही होता है।
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