मोदीजी ने सरकार में आते ही भृष्टाचार खत्म करने का अपना वायदा पूरा कर दिया। मोदीजी के आने के बाद किसी भी क्षेत्र में कोई भृष्टाचार नहीं हो रहा है। पूरा देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मोदीजी के इस करिश्मे पर हैरान है। लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा है। जो लोग अब तक ये कहते फिरते थे की इस देश में भृष्टाचार को रोकना मुस्किल ही नहीं नामुमकिन है उनकी बोलती बंद हो गई। लो रोक दिया भृष्टाचार।
अब पूरी दुनिया ये जानने को उत्सुक है की आखिर ये हुआ कैसे ? लोगों ने इस पर खोज टीमें बनाई। इसे समझने की कोशिश की। और उसके बाद जो कुछ चीजें सामने आई वो इस प्रकार हैं। --
सरकार ने सभी मंत्रियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को ये आदेश दे दिया की वो कम से कम दिन में तीन बार ये राग जरूर अलापें की सरकार पर एक पैसे का भृष्टाचार का दाग नहीं है।
जब भी किसी ने कोई भृष्टाचार का आरोप लगाया तो सरकार ने तुरंत उसे ख़ारिज कर दिया।
जब किसी ने कुछ सबूतों के साथ आरोप लगाए और जाँच की मांग की तो सरकार ने जाँच करने से इंकार कर दिया और सामने वाले को चुनौती दी की अगर उसके पास पुख्ता सबूत हैं तो वो कोर्ट में जाये। वो बेचारा ये कहता ही रह गया की कोर्ट के लायक सबूत तो जाँच से ही जुटाए जा सकते हैं। लेकिन सरकार ने साफ कह दिया की पहले सबूत लाओ बाद में जाँच होगी।
इस दौरान भृष्टाचार रोकने के लिए जो भी एजंसियां बनाई गई हैं चाहे वो लोकपाल हो, CVC हो या कोई और, किसी भी जगह पर नियुक्तियां नहीं की गई हैं। इसमें गुजरात का अनुभव भी बहुत काम आया की जब तक 12 साल मोदीजी वहां मुख्य्मंत्री रहे तब तक वहां लोकायुक्त की नियुक्ति ही नहीं की गई और उसका जिम्मा कांग्रेस पर डाल दिया जैसे लोकायुक्त को कांग्रेस की जाँच करनी हो।
रही सही कमी RTI का जवाब ना देकर पूरी कर दी गई। सरकार ने सभी विभागों को सख्त आदेश दे दिया की किसी भी RTI का जवाब ना दिया जाये। जब लोगों के पास जानकारियां ही नहीं होंगी तो भृष्टाचार के आरोप भी कैसे लगेंगे।
इस सभी चीजों के बाद भी अगर कोई ज्यादा ही बेशर्म हो जाता है और आरोप लगाता है तो ये कह दिया जाता है की कांग्रेस के जमाने में इतना भृष्टाचार हुआ था तब तुम कहां थे ?
इस तरह मोदीजी ने एक फूलप्रूफ और भृष्टाचार रहित सरकार देश को उपलब्ध करवा दी। बाकि दुनिया चाहे तो उनके इस अनुभव से फायदा उठा सकती है।
अब पूरी दुनिया ये जानने को उत्सुक है की आखिर ये हुआ कैसे ? लोगों ने इस पर खोज टीमें बनाई। इसे समझने की कोशिश की। और उसके बाद जो कुछ चीजें सामने आई वो इस प्रकार हैं। --
सरकार ने सभी मंत्रियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को ये आदेश दे दिया की वो कम से कम दिन में तीन बार ये राग जरूर अलापें की सरकार पर एक पैसे का भृष्टाचार का दाग नहीं है।
जब भी किसी ने कोई भृष्टाचार का आरोप लगाया तो सरकार ने तुरंत उसे ख़ारिज कर दिया।
जब किसी ने कुछ सबूतों के साथ आरोप लगाए और जाँच की मांग की तो सरकार ने जाँच करने से इंकार कर दिया और सामने वाले को चुनौती दी की अगर उसके पास पुख्ता सबूत हैं तो वो कोर्ट में जाये। वो बेचारा ये कहता ही रह गया की कोर्ट के लायक सबूत तो जाँच से ही जुटाए जा सकते हैं। लेकिन सरकार ने साफ कह दिया की पहले सबूत लाओ बाद में जाँच होगी।
इस दौरान भृष्टाचार रोकने के लिए जो भी एजंसियां बनाई गई हैं चाहे वो लोकपाल हो, CVC हो या कोई और, किसी भी जगह पर नियुक्तियां नहीं की गई हैं। इसमें गुजरात का अनुभव भी बहुत काम आया की जब तक 12 साल मोदीजी वहां मुख्य्मंत्री रहे तब तक वहां लोकायुक्त की नियुक्ति ही नहीं की गई और उसका जिम्मा कांग्रेस पर डाल दिया जैसे लोकायुक्त को कांग्रेस की जाँच करनी हो।
रही सही कमी RTI का जवाब ना देकर पूरी कर दी गई। सरकार ने सभी विभागों को सख्त आदेश दे दिया की किसी भी RTI का जवाब ना दिया जाये। जब लोगों के पास जानकारियां ही नहीं होंगी तो भृष्टाचार के आरोप भी कैसे लगेंगे।
इस सभी चीजों के बाद भी अगर कोई ज्यादा ही बेशर्म हो जाता है और आरोप लगाता है तो ये कह दिया जाता है की कांग्रेस के जमाने में इतना भृष्टाचार हुआ था तब तुम कहां थे ?
इस तरह मोदीजी ने एक फूलप्रूफ और भृष्टाचार रहित सरकार देश को उपलब्ध करवा दी। बाकि दुनिया चाहे तो उनके इस अनुभव से फायदा उठा सकती है।
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