जब से JNU का विवाद हुआ है संघ की परेशानी बढ़ गयी है। वहां के छात्र ऐसे ऐसे सवाल पूछते हैं की संघ के प्रवक्ताओं ने टीवी कार्यक्रमों में जाना बंद कर दिया है। इस पर संघ के सभी नेताओं ने बौद्धिक किया और तय किया की संघ भी राजनीती शास्त्र की एक यूनिवर्सिटी खोलेगा। सबसे पहले इसके लिए एक पाठ्यक्रम तय किया गया जो इस प्रकार है।
१. गोलवलकर सिद्धांत कौमुदिनी
२. गोयबल्स सार संग्रह
३. राष्ट्रवादी आतंकवाद
४. गाय के राजनैतिक उपयोग
५. देशोत्थान में गणवेश का महत्तव
६. गुंडों और उठाईगिरों का सामाजिक सुरक्षा में उपयोग।
७. मनुस्मृति केवल पीएचडी करने वाले छात्रों के लिए रिजर्व रहेगी।
ये कुछ मुद्दे तय कर लिए गए और शेष भविष्य की जरूरतों के अनुसार तय करने का निर्णय हुआ। उसके बाद विश्वविद्यालय के दूसरे नियमों का निर्धारण किया गया। जो निम्न प्रकार से होंगे।
१. विद्यालय में महिलाओं को प्रवेश नही दिया जायेगा। इससे राष्ट्र के भावी कर्णधारों के बिगड़ने का खतरा रहता है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व विद्यालय के मुख्यद्वार पर लगी हुई सरस्वती की प्रतिमा करेगी। साथ ही विद्यालय के इस पर एक पूरा पैराग्राफ लिखा जायेगा जिसमे भारत में महिलाओं की पूजा होने के शास्त्रों में उल्लेख होने का हवाला दिया जायेगा। साथ ही ये भी स्पष्ट किया जायेगा की विद्यालय महिला विरोधी नही है।
२. दलितों को विद्यालय में प्रवेश की अनुमति होगी। वरना वहां साफ सफाई की समस्या पैदा हो सकती है। लेकिन वर्ण व्यवस्था के अनुसार उनके लिए अलग वर्ग बनाये जायेंगे। अध्यापकों को ये छूट होगी की वो उन वर्गों में पढ़ाना चाहें तो पढ़ा सकते हैं। लेकिन गुरु दक्षिणा पढ़ाई पूरा होने से पहले ही ले ली जाएगी क्योंकि शास्त्रों में ऐसा ही प्रावधान है।
३. इस विश्विद्यालय से पढ़े हुए छात्रों को बाल भारती इत्यादि संघ के स्कूलों में नौकरी दी जाएगी। ये छात्र किसी भी दूसरी जगह नौकरी के लिए आवेदन नही करेंगे वरना भेद खुलने का डर रहेगा। सरकार में ऊपर के स्तर की नौकरियां इनके लिए आरक्षित की जाएँगी और उसके लिए मध्य प्रदेश सरकार के व्यापम के अनुभवों से फायदा उठाया जायेगा।
४. विश्वविद्यालय के किसी भी छात्र का शैक्षिणक और बौद्धिक स्तर देश के शिक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री से ज्यादा नही होगा ताकि शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जाये।
५. देश की शिक्षा मंत्री के व्यापक अनुभव व कार्यक्षमता को देखते हुए उन्हें विश्वविद्यालय का आजीवन कुलपति नियुक्त किया जायेगा।
इसके आगे के कर्यक्रम और क्लास कल -------------
१. गोलवलकर सिद्धांत कौमुदिनी
२. गोयबल्स सार संग्रह
३. राष्ट्रवादी आतंकवाद
४. गाय के राजनैतिक उपयोग
५. देशोत्थान में गणवेश का महत्तव
६. गुंडों और उठाईगिरों का सामाजिक सुरक्षा में उपयोग।
७. मनुस्मृति केवल पीएचडी करने वाले छात्रों के लिए रिजर्व रहेगी।
ये कुछ मुद्दे तय कर लिए गए और शेष भविष्य की जरूरतों के अनुसार तय करने का निर्णय हुआ। उसके बाद विश्वविद्यालय के दूसरे नियमों का निर्धारण किया गया। जो निम्न प्रकार से होंगे।
१. विद्यालय में महिलाओं को प्रवेश नही दिया जायेगा। इससे राष्ट्र के भावी कर्णधारों के बिगड़ने का खतरा रहता है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व विद्यालय के मुख्यद्वार पर लगी हुई सरस्वती की प्रतिमा करेगी। साथ ही विद्यालय के इस पर एक पूरा पैराग्राफ लिखा जायेगा जिसमे भारत में महिलाओं की पूजा होने के शास्त्रों में उल्लेख होने का हवाला दिया जायेगा। साथ ही ये भी स्पष्ट किया जायेगा की विद्यालय महिला विरोधी नही है।
२. दलितों को विद्यालय में प्रवेश की अनुमति होगी। वरना वहां साफ सफाई की समस्या पैदा हो सकती है। लेकिन वर्ण व्यवस्था के अनुसार उनके लिए अलग वर्ग बनाये जायेंगे। अध्यापकों को ये छूट होगी की वो उन वर्गों में पढ़ाना चाहें तो पढ़ा सकते हैं। लेकिन गुरु दक्षिणा पढ़ाई पूरा होने से पहले ही ले ली जाएगी क्योंकि शास्त्रों में ऐसा ही प्रावधान है।
३. इस विश्विद्यालय से पढ़े हुए छात्रों को बाल भारती इत्यादि संघ के स्कूलों में नौकरी दी जाएगी। ये छात्र किसी भी दूसरी जगह नौकरी के लिए आवेदन नही करेंगे वरना भेद खुलने का डर रहेगा। सरकार में ऊपर के स्तर की नौकरियां इनके लिए आरक्षित की जाएँगी और उसके लिए मध्य प्रदेश सरकार के व्यापम के अनुभवों से फायदा उठाया जायेगा।
४. विश्वविद्यालय के किसी भी छात्र का शैक्षिणक और बौद्धिक स्तर देश के शिक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री से ज्यादा नही होगा ताकि शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जाये।
५. देश की शिक्षा मंत्री के व्यापक अनुभव व कार्यक्षमता को देखते हुए उन्हें विश्वविद्यालय का आजीवन कुलपति नियुक्त किया जायेगा।
इसके आगे के कर्यक्रम और क्लास कल -------------
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