विजय माल्या चले गए। चले ही जाना चाहिए इस देश में और रखा भी क्या था। जितना उसके लिए रखा था वो तो ले ही लिया। अब जब लगा की वापिस देना पड़ सकता है तो चले गए। जो लोग, नेता और टीवी चैनल आमिर खान पर हफ्तों इस बात पर देशद्रोही होने का आरोप लगा रहे थे की उनकी पत्नी ने ऐसा क्यों कहा की क्या हमे देश छोड़ देना चाहिए, उनमे से किसी ने इस सचमुच देश छोड़ने वाले को गद्दार नही बताया। ना राजनाथ सिंह ने, ना आरएसएस ने, और ना सोशल मीडिया पर बैठे भाड़े के देश भक्तों ने। बताते भी कैसे ? विजय माल्या ने धमकी दी है की सबकी पोल खोल दूंगा दस्तावेजों के साथ।
लेकिन इसके बाद दूसरा सवाल ये है की जब मामला उठा की उसे जाने कैसे दिया तो बीजेपी ने कहा की सारे लोन कांग्रेस के दिए हुए हैं। अब ये नया तरीका शुरू होगा की कांग्रेस के जमाने के दिए हुए लोन कांग्रेस वसूल करेगी और बीजेपी के जमाने के दिए हुए बीजेपी। तरीका तो सही है। लेकिन मुझे एक गड़बड़ लगती है। जो लोन विश्वनाथ प्रताप सिंह, मोरारजी देसाई या आई. के. गुजराल साहब के जमाने में दिए थे उनको कौन वसूल करेगा। साथ ही अब मुझे लगता है की बैंकों का NPA इसी लिए बढ़ रहा है की वो सारे लोन कांग्रेस के जमाने में दिए गए थे तो बीजेपी सरकार क्यों वसूल करे। देश के उन सारे उद्योगपतियों को अब उस लोन का कोई पैसा चुकाने की जरूरत नही है जो कांग्रेस के जमाने में लिए थे। कभी दुबारा कांग्रेस की सरकार आएगी तो देखेंगे, वरना माले गनीमत समझ कर हजम कर लो।
दूसरी जो चीज मुझे समझ में आई वो ये की, जो बीजेपी कहती रही है की कांग्रेस मुक्त भारत बनाएगी तो उद्योगपति उसका समर्थन क्यों करते थे। अरे भई, इसका दूसरा मतलब ये भी तो हुआ की कांग्रेस मुक्त भारत और कर्ज मुक्त उद्योगपति। जाहिर है की जो लोन कांग्रेस के जमाने में दिए गए थे उनको वसूल करने की जिम्मेदारी बीजेपी की तो है नही। इसलिए सभी उद्योगपतियों को कर्जमुक्त घोषित कर दिया जाये। और मुझे पूरा विश्वास है की बहुत जल्दी ये कर दिया जायेगा।
मुझे इसमें कोई बुराई भी नजर नही आती। आखिर किसी दूसरे का दिया हुआ कर्जा कोई दूसरा क्यों वसूल करे। बस मुझे एक ही बात और कहनी है। यही बात बीजेपी सरकार वर्ल्ड बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और दूसरे कर्ज देने वाली संस्थाओं को भी कह दे की तुम्हारे से कर्जा कांग्रेस के जमाने में लिया गया था इसलिए हमसे तो उम्मीद मत रखना। आखिर कांग्रेस के जमाने में लिया हुआ कर्जा बीजेपी क्यों भरे। जब वसूली की जिम्मेदारी नही है तो देने की जिम्मेदारी भी नही है।
अब आगे से सारे काम इसी हिसाब से होंगे। स्मृति ईरानी कहती हैं की जिन अधिकारीयों ने रोहित वेमुला को बर्खास्त किया उनकी नियुक्ति कांग्रेस के जमाने में हुई थी हमने नही की। सरकार कहती है की जो एफिडेविट सीबीआई ने बदला उसका जवाब कांग्रेस देगी अधिकारी नही। जिन लोगों पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, वो सभी अधिकारी कह रहे हैं की ये काम हमने कांग्रेस के एक नेता के दबाव में किया था। और ये वो बड़े गर्व से टीवी चैनल पर कह रहे हैं और मौजूदा सरकार उस तालियां पीट रही है की देखो, हम ना कहते थे।
मुझे केवल एक बात का डर है। कल कोई युद्ध हो जाये और हमारी पिटाई हो जाये तो बीजेपी ये ना कह दे की इन सारे सैनिकों और अधिकारीयों की नियुक्ति कांग्रेस के जमाने में हुई थी। इसलिए मैं कहता हूँ की देश के सारे कर्मचारियों और अधिकारीयों को बर्खास्त करके नई भर्ती की जाये। सारे बैंकों को बंद करके नए बैंक खोले जाएँ। जिनका पैसा जमा है वो कांग्रेस से मांगे। जिनको देना है वो भूल जाये और नया लोन ले। उसके बाद देश में होने वाली घटनाओं की जिम्मेदारी मौजूदा सरकार की होगी।
लेकिन इसके बाद दूसरा सवाल ये है की जब मामला उठा की उसे जाने कैसे दिया तो बीजेपी ने कहा की सारे लोन कांग्रेस के दिए हुए हैं। अब ये नया तरीका शुरू होगा की कांग्रेस के जमाने के दिए हुए लोन कांग्रेस वसूल करेगी और बीजेपी के जमाने के दिए हुए बीजेपी। तरीका तो सही है। लेकिन मुझे एक गड़बड़ लगती है। जो लोन विश्वनाथ प्रताप सिंह, मोरारजी देसाई या आई. के. गुजराल साहब के जमाने में दिए थे उनको कौन वसूल करेगा। साथ ही अब मुझे लगता है की बैंकों का NPA इसी लिए बढ़ रहा है की वो सारे लोन कांग्रेस के जमाने में दिए गए थे तो बीजेपी सरकार क्यों वसूल करे। देश के उन सारे उद्योगपतियों को अब उस लोन का कोई पैसा चुकाने की जरूरत नही है जो कांग्रेस के जमाने में लिए थे। कभी दुबारा कांग्रेस की सरकार आएगी तो देखेंगे, वरना माले गनीमत समझ कर हजम कर लो।
दूसरी जो चीज मुझे समझ में आई वो ये की, जो बीजेपी कहती रही है की कांग्रेस मुक्त भारत बनाएगी तो उद्योगपति उसका समर्थन क्यों करते थे। अरे भई, इसका दूसरा मतलब ये भी तो हुआ की कांग्रेस मुक्त भारत और कर्ज मुक्त उद्योगपति। जाहिर है की जो लोन कांग्रेस के जमाने में दिए गए थे उनको वसूल करने की जिम्मेदारी बीजेपी की तो है नही। इसलिए सभी उद्योगपतियों को कर्जमुक्त घोषित कर दिया जाये। और मुझे पूरा विश्वास है की बहुत जल्दी ये कर दिया जायेगा।
मुझे इसमें कोई बुराई भी नजर नही आती। आखिर किसी दूसरे का दिया हुआ कर्जा कोई दूसरा क्यों वसूल करे। बस मुझे एक ही बात और कहनी है। यही बात बीजेपी सरकार वर्ल्ड बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और दूसरे कर्ज देने वाली संस्थाओं को भी कह दे की तुम्हारे से कर्जा कांग्रेस के जमाने में लिया गया था इसलिए हमसे तो उम्मीद मत रखना। आखिर कांग्रेस के जमाने में लिया हुआ कर्जा बीजेपी क्यों भरे। जब वसूली की जिम्मेदारी नही है तो देने की जिम्मेदारी भी नही है।
अब आगे से सारे काम इसी हिसाब से होंगे। स्मृति ईरानी कहती हैं की जिन अधिकारीयों ने रोहित वेमुला को बर्खास्त किया उनकी नियुक्ति कांग्रेस के जमाने में हुई थी हमने नही की। सरकार कहती है की जो एफिडेविट सीबीआई ने बदला उसका जवाब कांग्रेस देगी अधिकारी नही। जिन लोगों पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी, वो सभी अधिकारी कह रहे हैं की ये काम हमने कांग्रेस के एक नेता के दबाव में किया था। और ये वो बड़े गर्व से टीवी चैनल पर कह रहे हैं और मौजूदा सरकार उस तालियां पीट रही है की देखो, हम ना कहते थे।
मुझे केवल एक बात का डर है। कल कोई युद्ध हो जाये और हमारी पिटाई हो जाये तो बीजेपी ये ना कह दे की इन सारे सैनिकों और अधिकारीयों की नियुक्ति कांग्रेस के जमाने में हुई थी। इसलिए मैं कहता हूँ की देश के सारे कर्मचारियों और अधिकारीयों को बर्खास्त करके नई भर्ती की जाये। सारे बैंकों को बंद करके नए बैंक खोले जाएँ। जिनका पैसा जमा है वो कांग्रेस से मांगे। जिनको देना है वो भूल जाये और नया लोन ले। उसके बाद देश में होने वाली घटनाओं की जिम्मेदारी मौजूदा सरकार की होगी।
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