हरियाणा में पिछले दिनों भड़के जाट आरक्षण आंदोलन ने जो तबाही मचाई उसकी गूँज दूर दूर तक गयी। इस आंदोलन के पीछे अलग अलग पार्टियों और उनके नेताओं का हाथ होने का आरोप है। जिसमे सच और झूठ का फैसला निष्पक्ष जाँच से ही सम्भव है। लेकिन इसमें हुए नुकशान का अंदाजा सम्पत्ति के रूप में लगभग 35000 करोड़ का है। इसमें लगभग 30 लोगों की जान गयी है। इसके अलावा हरियाणा के सामाजिक तानेबाने को जो नुकशान पहुंचा है उसका अंदाजा तो लगाया ही नही जा सकता। पुरे हरियाणा में जाट और गैर जाट जातियों के बीच एक तीखी विभाजन रेखा खिंच गयी है। और अब 35 बनाम 1 के नारे के तहत इस विभाजन को पुख्ता रूप देने की कोशिशे चल रही हैं। जाहिर है की कोई भी राजनितिक दल इसकी जिम्मेदारी लेने को तो तैयार नही होगा, हालाँकि इससे फायदा उठाने की कोशिश जरूर करेगा।
लेकिन हमारा मुद्दा दूसरा है। एक बात ऐसी भी है जिस पर सब सहमत हैं और जिस पर मतभेद नही है, वो है आंदोलन के समय सरकार और प्रशासन की गैर हाजरी। हरियाणा का हर नागरिक ये मानता है की पुरे आंदोलन के दौरान सरकार गैर हाजिर थी। तो सवाल भी उठेंगे। लोगों के जानमाल की रक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। अगर आंदोलन के पीछे विपक्ष का भी हाथ हो तो भी सरकार की जिम्मेदारी खत्म नही हो जाती। ये सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है जिसे निभाने में सरकार असफल रही है। इस पर मामला जब संसद में उठा तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उसका ये जवाब दिया, " सरकार से किसी भी किस्म की कोई चूक नही हुई। "
इसका मतलब क्या है ? अगर सरकार के रहते इस तरह की लूटपाट होती है और जो पहले भी कई जगह हुई है, तो सरकार अब तक उसे अफसरों पर डाल कर निकल जाती थी। लेकिन इस बार राजनाथ सिंह ने चूक होने से ही इंकार कर दिया। फिर इसका क्या मतलब है। अगर सरकार से कोई चूक नही हुई और इस बड़े पैमाने पर तबाही हुई तो उसके केवल दो ही कारण हो सकते हैं।
पहला ये की सबकुछ सरकार के इशारे पर हुआ। या उसको इस तरह भी कह सकते हैं की इसे सरकार का समर्थन प्राप्त था। जैसे गुजरात दंगों पर उस समय की सरकार पर आरोप था।
दूसरा ये की सरकार की उसको रोकने की हैसियत नही थी। यानि सरकार नालायक थी। अगर सरकार से कोई चूक नही हुई और इतनी हिंसा हुई तो इसके अलावा क्या कारण हो सकता है।
दोनों ही कारण ऐसे हैं जिसके बाद किसी भी सरकार को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक और क़ानूनी अधिकार नही है। क्या राजनाथ सिंह हरियाणा सरकार को इस्तीफा देने को कहेंगे। वरना आगे भी ऐसी सरकार के भरोसे जो कुछ कर पाने की हैसियत में नही है, लोगों के जान मॉल की रक्षा नही कर सकती है उसे सत्ता पर क्यों रहना चाहिए। इस तरह तो हरियाणा असुरक्षा से हमेशा संकट ग्रस्त रहेगा।
लेकिन हमारा मुद्दा दूसरा है। एक बात ऐसी भी है जिस पर सब सहमत हैं और जिस पर मतभेद नही है, वो है आंदोलन के समय सरकार और प्रशासन की गैर हाजरी। हरियाणा का हर नागरिक ये मानता है की पुरे आंदोलन के दौरान सरकार गैर हाजिर थी। तो सवाल भी उठेंगे। लोगों के जानमाल की रक्षा करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। अगर आंदोलन के पीछे विपक्ष का भी हाथ हो तो भी सरकार की जिम्मेदारी खत्म नही हो जाती। ये सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है जिसे निभाने में सरकार असफल रही है। इस पर मामला जब संसद में उठा तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उसका ये जवाब दिया, " सरकार से किसी भी किस्म की कोई चूक नही हुई। "
इसका मतलब क्या है ? अगर सरकार के रहते इस तरह की लूटपाट होती है और जो पहले भी कई जगह हुई है, तो सरकार अब तक उसे अफसरों पर डाल कर निकल जाती थी। लेकिन इस बार राजनाथ सिंह ने चूक होने से ही इंकार कर दिया। फिर इसका क्या मतलब है। अगर सरकार से कोई चूक नही हुई और इस बड़े पैमाने पर तबाही हुई तो उसके केवल दो ही कारण हो सकते हैं।
पहला ये की सबकुछ सरकार के इशारे पर हुआ। या उसको इस तरह भी कह सकते हैं की इसे सरकार का समर्थन प्राप्त था। जैसे गुजरात दंगों पर उस समय की सरकार पर आरोप था।
दूसरा ये की सरकार की उसको रोकने की हैसियत नही थी। यानि सरकार नालायक थी। अगर सरकार से कोई चूक नही हुई और इतनी हिंसा हुई तो इसके अलावा क्या कारण हो सकता है।
दोनों ही कारण ऐसे हैं जिसके बाद किसी भी सरकार को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक और क़ानूनी अधिकार नही है। क्या राजनाथ सिंह हरियाणा सरकार को इस्तीफा देने को कहेंगे। वरना आगे भी ऐसी सरकार के भरोसे जो कुछ कर पाने की हैसियत में नही है, लोगों के जान मॉल की रक्षा नही कर सकती है उसे सत्ता पर क्यों रहना चाहिए। इस तरह तो हरियाणा असुरक्षा से हमेशा संकट ग्रस्त रहेगा।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.