2 सितंबर को होने वाली अखिल भारतीय मजदूर हड़ताल को टालने के लिए, मजदूर यूनियनों के प्रतिनिधियों से हुई बातचीत में सरकार ने कहा की वो यूनियनों के 12 मांगों के मांग पत्र में से 8 मांगों पर सिद्धान्त रूप से सहमत है इसलिए मजदूर यूनियनों को हड़ताल वापिस ले लेनी चाहिए। जाहिर है की यूनियन के प्रतिनिधियों ने इससे इंकार कर दिया। यूनियनों के प्रतिनिधियों ने कहा की " सैद्धांतिक सहमति " का क्या मतलब होता है। सरकार ने तो ये नही बताया लेकिन मैं बता देता हूँ। निचे वो मुद्दे दिए गए हैं जिन पर सरकार सिद्धांत रूप में सहमत है।
१. देश में भृष्टाचार नही होना चाहिए। और अगर किसी मंत्री पर भृष्टाचार का आरोप लगता है तो उसे इस्तीफा देकर जाँच का सामना करना चाहिए।
२. देश में वन रैंक - वन पेंशन का नियम लागु होना चाहिए।
३. महंगाई नही बढ़नी चाहिए।
४. कला धन वापिस लाना चाहिए और विदेशों में पैसा जमा करवाने वाले खता धारकों के नाम सार्वजनिक कर देने चाहियें।
५. विकास की योजनाओं में राज्य सरकारों की सलाह का आदर करना चाहिए।
६. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।
७. पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए।
८. श्रम का सम्मान होना चाहिए।
९. सभी युवाओं को रोजगार मिलना चाहिए।
१. देश में भृष्टाचार नही होना चाहिए। और अगर किसी मंत्री पर भृष्टाचार का आरोप लगता है तो उसे इस्तीफा देकर जाँच का सामना करना चाहिए।
२. देश में वन रैंक - वन पेंशन का नियम लागु होना चाहिए।
३. महंगाई नही बढ़नी चाहिए।
४. कला धन वापिस लाना चाहिए और विदेशों में पैसा जमा करवाने वाले खता धारकों के नाम सार्वजनिक कर देने चाहियें।
५. विकास की योजनाओं में राज्य सरकारों की सलाह का आदर करना चाहिए।
६. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।
७. पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए।
८. श्रम का सम्मान होना चाहिए।
९. सभी युवाओं को रोजगार मिलना चाहिए।
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