गप्पी -- एक और बड़ा रेल हादसा हो गया। सरकार ने कुछ रटी रटाई बातें की, पुरानी लिस्ट के कुछ काम दोहराये। जैसे -
प्रधानमंत्री ने हादसे पर दुःख जताया।
रेल मंत्री ने हादसे पर दुःख जताया।
रेल हादसे की जाँच सुरक्षा आयुक्त से करवाने की घोषणा की।
रिपोर्ट और जाँच से पहले ही घटना का कारण प्राकृतिक आपदा बता दिया।
मुआवजे की घोषणा की।
कुछ गाड़ियों के रुट बदले, कुछ रद्द की।
हेल्पलाइन नंबर जारी किये।
ये हर हादसे के बाद किये जाने वाले कामो की तय लिस्ट है जो कम्प्यूटर में सेव है। हर हादसे के बाद इसे जारी कर दिया जाता है। हमे एक बड़ा रेल अधिकारी कैंटीन में मिल गया। उससे जो प्राइवेट बातें हुई उसके कुछ अंश यहां दे रहा हूँ।
मैं --- रेल मंत्री ने छानबीन से पहले ही कह दिया की दुर्घटना प्राकृतिक आपदा के कारण हुई।
अधिकारी --- रेल मंत्रालय कभी भी किसी दुर्घटना की जिम्मेदारी नही लेता। विभिन्न दुर्घटनाओ के लिए हमारे पास तय कारणों की लिस्ट मौजूद है। उसे चाहे छानबीन से पहले पूछ लो चाहे बाद में। जैसे, मानवीय भूल के कारण , तकनीकी गड़बड़ी के कारण, तोड़फोड़ की कार्यवाही के कारण, बिना फाटक के रोड पर किसी वाहन के गलती से आ जाने के कारण और प्राकृतिक आपदा के कारण।
मैं -- रेलवे लाइन के नीचे से पानी निकल गया, इतनी बारिश और बाढ़ का मौसम था तो क्या रेलवे को अतिरिक्त सावधानी नही बरतनी चाहिए थी। क्या रेल मंत्री सुरेश प्रभु को इसकी जिम्मेदारी नही लेनी चाहिए ?
अधिकारी -- दुर्घटना की जिम्मेदारी नीचे वाले प्रभु की नही ऊपर वाले प्रभु की है।
मैं -- जो दो लाख रूपये मुआवजा घोषित किया गया है, क्या आपको नही लगता वो नाकाफी है।
अधिकारी --- अब रेल दुर्घटना में मरने वालों का मुआवजा विमान दुर्घटना में मरने वालों के बराबर तो नही हो सकता। वैसे रेलवे इस बात पर विचार कर रहा है की अलग अलग श्रेणी के हिसाब से अलग अलग मुआवजा रक्खा जाये। फर्स्ट क्लास का तो किराया भी विमान के बराबर हो गया है।
मैं -- तो जो यात्री जनरल बोगी में सफर करते हैं उनका क्या होगा ?
अधिकारी --- जनरल डब्बे में जनरल यानि आम लोग सफर करते हैं। उनका मुआवजा घटाकर 50000 किया जा सकता है। वो सस्ती जाने हैं। इसीलिए तो हम जनरल डिब्बे ट्रेन के आगे और पीछे लगाते हैं ताकि दुर्घटना की स्थिति में पहला नंबर उनका आये। आखिर उनका टिकट का रेट ही कितना होता है।
मैं -- क्या अब मरने वाले का मुआवजा टिकट के रेट से तय होगा ?
अधिकारी -- देखिये अब पहले जैसी धांधली नही चल सकती। अब रेल मंत्री चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। उन्हें सारा हिसाब आता है। कुछ दिन में वो रेल की कायापलट कर देंगे।
मैं -- लेकिन रेल मंत्रालय कोई ठोस काम क्यों नही करता ?
अधिकारी -- कैसे नही करता ? हमने अभी-अभी तत्काल टिकटों का समय बदला है। अगले तीन महीनो में हम ये समय दुबारा बदल देंगे। ऐसा हम हर तीन महीने बाद करने वाले हैं। हमने रेल टिकिट कैंसिल करवाने पर वापिस मिलने वाले पैसे को घटाकर वहां पहुंचा दिया है की कोई टिकट कैंसिल करवाये या न करवाये कोई फर्क नही पड़ता। अगर टिकिट कैंसिल करवाने के कारण रेलवे को जो आमदनी हुई है उसके आंकड़े जारी कर दिए जाएँ तो वो जातिगत जनगणना के आंकड़ों से ज्यादा विस्फोटक हो सकते हैं।
मैं -- लेकिन सुरक्षा के सवाल ---
अधिकारी ---- रेल की आमदनी, रेल मंत्री और सरकार तीनो पूरी तरह सुरक्षित हैं।
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