Sunday, August 2, 2015

Vyang -- मानवाधिकार आयोग में फेरबदल

गप्पी -- सरकार  के प्रवक्ता ने एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया जिसमे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में आमूल-चूल परिवर्तन की बात की गयी। सरकारी प्रवक्ता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के पद पर नई नियुक्ति का एलान किया। उन्होंने नई नियुक्ति का एलान करते हुए कहा की देश में कई आयोगों के कामकाज पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। इसलिए सरकार ने सबसे पहले मानवाधिकार आयोग को " सुधारने " का फैसला किया है। अब तक आयोग सरकार को चिट्ठी लिखने, रिपोर्ट मांगने और सरकार के कामो में अड़ंगा डालने के अलावा कोई ढंग का काम नही कर पाया है। इसलिए सरकार ने इसमें परिवर्तन का फैसला लिया है। इसलिए सरकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद पर स्वामी विचारानन्द की नियुक्ति की घोषणा करती है। स्वामी जी ने परम्परा के अनुसार कई साल गुरुकुल में रहकर शास्त्रों और पुराणो का अध्ययन किया है। स्वामीजी हमारी 5000 साल पुरानी भारतीय संस्कृति के विद्वान रहे हैं। इसलिए सरकार ये उम्मीद करती है की आयोग के काम और तरीके में फर्क दिखाई देगा। अब आप अपने सवाल पूछ सकते हैं। 

           पत्रकार ------ लेकिन अब तक तो ये परम्परा रही है की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर मुख्य न्यायाधीश को बनाया जाता है ?

            प्रवक्ता ------- ये एक गलत परम्परा थी जिसे बिना विचार किये लागु किया गया था। जो मुख्य न्यायाधीश उच्चतम  न्यायालय जैसी सर्वाधिकार प्राप्त संस्था में रहते हुए मानवाधिकारों की रक्षा नही कर पाया उससे सरकार आगे क्या उम्मीद करेगी। इसलिए ये पद किसी विद्वान को देने का फैसला किया गया है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए हम राज्य पालों के पद सुरक्षित रखने की योजना बना रहे हैं। 

           पत्रकार ----- लेकिन मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को कानून और संविधान की गहन जानकारी होनी चाहिए इसलिए इस पद पर न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है। 

            प्रवक्ता ------ यही जानकारी समस्या की जड़ है। जब कोई आदमी किसी पुलिस अधिकारी द्वारा उसके मानवाधिकारों के हनन की शिकायत लेकर आता है तो आयोग को वो बात पता करने में तीन महीने लगते हैं जो सरकार को पहले दिन मालूम होती है। अव्वल तो पुलिस अधिकारी ने वो काम सरकार के कहने पर ही किया होगा, और अगर उसने किसी दूसरी प्रेरणा से भी ऐसा किया होगा तो वो तुरंत सरकार को बता देता है। इसलिए आयोग उस बात के लिए सरकार को तीन महीने बाद चिट्ठी लिखे ये बात समझ में नही आती। 

            पत्रकार ---  तो सरकार अब इस तरीके में क्या बदलाव लाने  जा रही है ?

           प्रवक्ता ----- इसका जवाब खुद स्वामीजी ही देंगे। ये कहकर उन्होंने माइक स्वामीजी को दे दिया। स्वामीजी 50-55 की उमर के स्वस्थ आदमी थे। उनकी दाढ़ी करीने से छँटी हुई थी जो उनके छँटे होने का आभास दे रही थी। स्वामीजी ने माइक पकड़कर दो मिनट के लिए आँखे बंद की और होठों में कुछ बड़बड़ाया। उसके बाद आँखे खोलकर उन्होंने फ़रमाया, " जब हमारे देश का संविधान बना तो उसमे कुछ आधारभूत गलतियां हो गयी। संविधान बनाने वाली सभा में कोई भी भारतीय संस्कृति को गहराई से जानने वाला विद्वान शामिल नही था वरना ऐसा नही होता। उसमे मौलिक अधिकारों के नाम का एक अध्याय जोड़ दिया गया। जबकि कोई भी अधिकार मौलिक नही होता। नागरिकों के अधिकार राजा की मर्जी के अधीन होते हैं। हमारे शास्त्रों में राजा को भगवान का प्रतिनिधि माना  गया है। यहां तक की राम की स्तुति भी राजा राम कहकर की जाती है। सारी समस्याएँ यहीं से शुरू होती हैं। आयोग अब ये देखेगा की जो काम राजाज्ञा से किया गया होगा उसकी शिकायत नही की जा सकेगी। राजा के अधिकारों को चुनौती नही दी जा सकती ये हमारी परम्परा है। हमारे यहां तो सबसे अच्छा न्याय का उदाहरण उसको माना जाता है जिसमे राजा को मृत्युदंड होने पर उसकी सोने की मूर्ति को फांसी पर लटकाया गया था। और ये हर बात पर शिकायत करना हमारी संस्कृति नही है। हमारे यहां तो कहा गया है,-

                                  सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये,

                                  जेहि विधि राखे राम, तेहि विधि रहिये। 

  उसी तरह हमारे शास्त्रों में राजा के सेवकों को देवता का दर्जा दिया गया है। क्योंकि उनके बिना राज्य का कामकाज असम्भव है। इसलिए भविष्य में किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ भी कोई शिकायत नही सुनी जाएगी। तुमने वो नया भजन तो सुना होगा। 

                                    दुनिया चले ना श्रीराम के बिना,

                                    रामजी चले ना हनुमान के बिना। 

        पत्रकार -- तो फिर आयोग का काम क्या रह जायेगा। वो क्या काम करेगा ?

       स्वामीजी ----- आयोग जगह जगह सेमिनार और प्रवचन आयोजित करेगा, जिसमे हमारी सदियों पुरानी संस्कृति की तरफ लौटने का आवाहन किया जायेगा। लोगों को समझाया जायेगा की जिन्हे वो अबतक अधिकार समझते रहे हैं वो एक तकनीकी भूल थी। 


खबरी -- तुम्हे हमेशा इस तरह के बुरे सपने ही क्यों आते हैं ?

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.