Sunday, August 16, 2015

Vyang -- भाई साब की छोटी होती प्रतिमा की कहानी

गप्पी -- दूसरे हजारों लाखों घरों की तरह हमारा घर भी एक किसान परिवार की सभी परेशानियों को अपने में समेटे था। कम जमीन, बढ़ता कर्ज, जवान बच्चों की बेरोजगारी और दिन रात काम करती कुपोषण की शिकार महिलाएं। इस सब का साइड इफेक्ट भी था, झगड़ा, अवसाद और बेबसी में एक दूसरे पर दोषारोपण। ऐसे में अचानक बड़े भाई साब ने घोषणा कर दी की अगर घर का लेनदेन उन्हें सौंप दिया जाये तो सारी समस्या हल हो सकती है। उन्होंने सारी समस्या की जड़ पिताजी की मिस-मैनेजमेंट को ठहरा दिया। साथ ही उन्होंने ये भी कहा की वो ये कामकाज तभी संभालेंगे जब उन्हें इसके लिए पूरा सम्मान मिले। परेशान घर वालों ने लेनदेन भाई साब को दे देने का फैसला कर लिया। उनके सम्मान के लिए घर वालों ने तय किया की भाई साब के रहते ही उनकी एक सात फुट की प्रतिमा घर के आँगन में स्थापित कर दी जाये। प्रतिमा सात फुट की इसलिए रखी गयी क्योंकि भाई साब को हमेशा अपना कद सात फुट का लगता था। हमारे घर में किसी का भी कद साढ़े पांच फुट से ज्यादा नही था, भाई साब का भी नही। लेकिन भाई साब को आदत थी बात बात पर ये कहने की, " है कोई माई का लाल गांव में मेरे जैसा सात फुट का जवान " . शुरू शुरू में घर वालों ने भाई साब को समझाने की कोशिश भी की थी उनके कद के बारे में, लेकिन भाई साब नही माने। अब घरवालों को भी आदत हो गयी थी। सो घर वालों ने लेनदेन भाई साब को सौंप दिया और आँगन में भाई साब की सात फुट की प्रतिमा स्थापित कर दी। प्रतिमा की प्रतिष्ठा और भाई साब के स्वभाव को देखते हुए उसे अच्छा कुरता पाजामा, बढ़िया जैकेट और रंगीन साफा भी पहना दिया।
                             भाई साब सारे कामकाज की निगरानी करते। अबकी बार अच्छी फसल होने की उम्मीद थी। भाई साब फसल का सारा श्रेय खुद को दे रहे थे और एक दिन आंधी और बरसात ने फसल बरबाद कर दी। लेनदारों का दबाव बढ़ गया। तो भाई साब ने घर पर रहना कम कर दिया। बेरोजगार बच्चों की नौकरी अब भी दूर की बात थी। घर में आशा का वातावरण फिर तनाव में बदलने लगा। अब भाई साब ने घरवालों के सवालों का जवाब देना बंद कर दिया। एक दिन घरवालों ने देखा की आँगन में खड़ी भाई साब की प्रतिमा का कद साढ़े पांच फुट का हो गया है ठीक भाई साब के ओरिजिनल कद के बराबर।
                           अब भाई साब ने शहर में कमरा लेकर रहना शुरू कर दिया अकेले। घर वाले पूछते तो जवाब मिलता की सब घर की हालत सुधारने के लिए ही कर रहे हैं। लेकिन घर की हालत ज्यों की त्यों थी। भाभी का आधा दिन काम में और आधा रोने में जाता। इसी तरह अम्मा का आधा दिन काम में और आधा भाभी को चुप कराने में जाता। घर वालों ने एक दो बार शहर जाकर भाई साब को मिलने की कोशिश की। लेकिन वहाँ भाई साब ने फुटकर काम के लिए जिस आदमी को रखा हुआ था व्ही मिलता। एक दिन उसने चिढ़कर घरवालों को कह दिया की उसने इतना निर्लज्ज परिवार नही देखा। उसके अनुसार भाई साब सुबह चार बजे से रात को बारह बजे तक घर की हालत सुधारने के लिए काम करते हैं। क्या करते हैं ये वो भी नही बता पाया। वापिस आकर घर वालों ने देखा की भाई साब की प्रतिमा और छोटी हो कर पांच फुट की रह गयी है।
                          लेनदारों का दबाव बढ़ा तो एक दिन पिताजी ने गले में रस्सा डाल लिया। वो तो एक पड़ौसी ने एन वक्त पर देख लिया और अनहोनी होने से बच गयी। पिताजी देश के दूसरे किसानो से ज्यादा भाग्यशाली निकले। भाई साब को पता चला तो बहुत चिल्लाये। उन्होंने कहा की ये तो कायरता की हद है। भाई साब ने इस बात पर भी शक जाहिर किया की पिताजी ने लेनदारों से परेशान होकर आत्महत्या की कोशिश की थी। उन्होंने कहा की जरूर अम्मा से झगड़ा हुआ होगा।
                           अब भाई साब की प्रतिमा केवल दो फुट की रह गयी थी। भाई साब हररोज बड़े लड़के की नौकरी तुरंत लगने की बात कर रहे थे लेकिन कुछ हो नही रहा था। अब भाई साब से इस पर पूछा जाता तो वो चिल्ला कर जवाब देने लगे। अब वो अपने कामो के बारे में जवाब नही देते थे। जब भी उनसे कोई सवाल पूछा जाता तो वो उसके उत्तर में कहते की पिताजी ने क्या कर लिया था। आहिस्ता आहिस्ता घर वालों ने उनसे पूछना बंद कर दिया। एक दिन घर वाले अंदर बैठ कर हालात पर विचार कर रहे थे की बहन का सात साल का लड़का दौड़ता हुआ घर में घुसा और अम्मा से बोला नानी-नानी मैं इस गुड्डे से खेल लूँ ? घर वालों ने देखा कि उसके हाथ में भाई साब की प्रतिमा थी जो छोटी होकर छः इंच की रह गयी थी।
 

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.